Hindi Newsदेश न्यूज़Ukraine says if india want permanent seat in UNSC then to play more active role to end russia war

UNSC में पक्की सीट चाहिए तो रोको रूस की तबाही, यूक्रेन ने भारत के सामने रखी बड़ी शर्त

  • यूक्रेन के राजदूत ने भारत के सामने बड़ी शर्त रखी है। उन्होंने कहा कि अगर भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अपनी परमानेंट सीट चाहता है तो उसे यूक्रेन में रूस के युद्ध को खत्म करने में ज्यादा मेहनत करनी चाहिए।

Gaurav Kala ब्लूमबर्ग, नई दिल्लीWed, 11 Sep 2024 02:09 PM
share Share

रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम की उठ रही मांग के बीच यूक्रेन के राजदूत ने भारत के सामने बड़ी शर्त रखी है। उन्होंने कहा कि अगर भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अपनी परमानेंट सीट चाहता है तो उसे यूक्रेन में रूस के युद्ध को खत्म करने में ज्यादा मेहनत करनी चाहिए। नई दिल्ली में यूक्रेनी राजदूत ओलेक्सांद्र पोलिशचुक ने कहा कि यू्क्रेन चाहता है कि भारत दोनों युद्धरत देशों के बीच बातचीत में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाए, उसे सिर्फ संदेशवाहक बनकर सीमित नहीं रहना चाहिए। इसके लिए भारत को रूस से अपने पुराने और घनिष्ठ संबंधों का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे पहले एस जयशंकर ने जर्मनी में वार्षिक सम्मेलन के दौरान जोर देते हुए कहा था कि रूस और यूक्रेन को बात करनी ही होगी और अगर वे चाहते हैं तो भारत सलाह देने को तैयार है।

भारत में यूक्रेन के राजदूत ओलेक्सांद्र पोलिशचुक ने कहा कि यूक्रेन चाहता है कि भारत दोनों युद्धरत देशों के बीच बातचीत को आगे बढ़ाए और मॉस्को को शांति वार्ता में शामिल होने के लिए मनाने के लिए रूस के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल करे। उन्होंने कहा कि यूक्रेन ने भारत को नवंबर 2024 से पहले एक शांति शिखर सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव दिया है, जिसका उद्देश्य संघर्ष को समाप्त करना है।

उन्होंने आगे कहा कि अभी तक स्पष्ट नहीं है कि भारत हमारे प्रस्ताव पर सहमत है भी या नहीं। पोलिशचुक ने कहा, "अगर भारत अपने हितों की पूर्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट चाहिए तो उसे रूस से बातचीत में ज्यादा ऐक्टिव होना चाहिए।" पोलिशचुक ने कहा, भारत को महज "यूक्रेन और रूस के बीच संदेश वाहक" की भूमिका निभाकर संतुष्ट नहीं रहना चाहिए, बल्कि अधिक "मजबूत भूमिका" निभानी चाहिए।

भारत और रूस के बीच संबंधों का हवाला

गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से शुरू हुए युद्ध के बाद भारत ने रूस के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर बोलने से परहेज किया है। भारत सैन्य हथियारों और सस्ते तेल के लिए रूस पर निर्भर है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीने दोनों देशों के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद पहली बार अगस्त में कीव का दौरा किया था। हाल ही में मोदी ने रूस और कीव का दौरा कर जेलेंस्की और पुतिन से मुलाकात की थी। पीएम मोदी लगातार दोनों देशों से शांति वार्ता करने का आग्रह कर चुके हैं। पीएम मोदी ने दोनों देशों के प्रमुखों को अपने संदेश में कहा था कि यह युग युद्ध का नहीं शांति का है।

जयशंकर के बयान के क्या मायने

मंगलवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जर्मनी में वार्षिक सम्मेलन के दौरान रूस और यूक्रेन युद्ध पर अपनी बात रखी थी। जयशंकर ने कहा था कि रूस और यूक्रेन को खुद ही बातचीत के लिए सामने आना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वो चाहते हैं तो भारत दोनों देशों को सलाह दे सकता है। उन्होंने कहा था- "हमें नहीं लगता कि इस संघर्ष का युद्ध के मैदान में कोई हल निकलने वाला है। कहीं न कहीं, कुछ बातचीत तो होगी ही, तभी कुछ समाधान निकल सकता है।"

उधर, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी सार्वजनिक तौर पर स्वीकारा कि रूस और यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में भारत समेत तीन देश अहम भूमिका निभा सकते हैं और भारत पूरी ईमानदारी से अपनी कोशिश कर रहा है। पुतिन ने कहा था, ‘‘यदि यूक्रेन वार्ता को आगे ले जाने को इच्छुक है, तो मैं भी ऐसा कर सकता हूं।’’

गौरतलब है कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस सप्ताह मॉस्को में हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की ब्रिक्स बैठक के मौके पर पुतिन सहित वरिष्ठ रूसी अधिकारियों से मिल सकते हैं।

अगला लेखऐप पर पढ़ें