मुखौटा उतर गया है...अमित शाह पर ममता बनर्जी का हमला, TMC ने थमाया विशेषाधिकार हनन का नोटिस
टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि अमित शाह की टिप्पणी उन लाखों लोगों का अपमान है जो मार्गदर्शन एवं प्रेरणा के लिए बी आर आंबेडकर की ओर देखते हैं।
संविधान निर्माता डॉ. बी आर आंबेडकर पर कथित विवादित टिप्पणी को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच छिड़ी सियासी जंग में अब तृणमूल कांग्रेस (TMC) भी कूद पड़ी है। TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने आंबेडकर पर टिप्पणी को लेकर संसद में गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस पेश किया है और कहा है कि उन्होंने संविधान निर्माता की विरासत और संसद की गरिमा को कमतर आंका है। डेरेक ओ ब्रायन ने नियम 187 के तहत ये नोटिस दिया है। विशेषाधिकार हनन का यह नोटिस ऐसे समय में आया है जब विपक्ष गृह मंत्री पर कल राज्यसभा में अपने भाषण में दलितों और पिछड़ों के मसीहा का अपमान करने का आरोप लगा रहा है।
दूसरी तरफ टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि अमित शाह की टिप्पणी उन लाखों लोगों का अपमान है जो मार्गदर्शन एवं प्रेरणा के लिए बी आर आंबेडकर की ओर देखते हैं। इसके आगे उन्होंने कहा कि अमित शाह की टिप्पणी न केवल बी आर आंबेडकर पर बल्कि संविधान की प्रारूप समिति के सभी सदस्यों पर प्रहार है।
सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में बनर्जी ने लिखा, “मुखौटा उतर गया है! जब संसद संविधान के 75 गौरवशाली वर्षों पर चर्चा कर रही है, तब गृह मंत्री @AmitShah ने इस अवसर को लोकतंत्र के मंदिर में डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करके कलंकित करने का विकल्प चुना। यह भाजपा की जातिवादी और दलित विरोधी मानसिकता का प्रदर्शन है। अगर 240 सीटों पर सिमटने के बाद वे इस तरह का व्यवहार करते हैं, तो कल्पना कीजिए कि अगर उनका 400 सीटों का सपना साकार होता तो वे कितना नुकसान करते। वे डॉ. आंबेडकर के योगदान को पूरी तरह से मिटाने के लिए इतिहास को फिर से लिख देते। गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी उन लाखों लोगों का अपमान है जो मार्गदर्शन और प्रेरणा के लिए बाबासाहेब की ओर देखते हैं। लेकिन आप उस पार्टी से और क्या उम्मीद कर सकते हैं जिसने नफरत और कट्टरता को अपने अंदर समाहित कर लिया है?”
बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर पर गृह मंत्री अमित शाह द्वारा कथित तौर पर की गई एक टिप्पणी को लेकर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही बाधित रही और एक बार के स्थगन के बाद दोपहर करीब सवा दो बजे बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसी दौरान विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि गृह मंत्री शाह ने संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान किया है और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। सभापति ने उन्हें सदन की कार्यवाही चलने देने के लिए कहा।
उन्होंने भाजपा के डॉ राधामोहन दास अग्रवाल से शून्यकाल के तहत अपना मुद्दा उठाने के लिए कहा। अग्रवाल ने ‘मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव’ से संबंधित मुद्दे पर अपनी बात शुरु की। लेकिन विपक्षी सदस्यों ने गृह मंत्री से माफी की मांग को लेकर हंगामा तेज कर दिया। सभापति ने उनसे शांत रहने की अपील करते हुए कहा ‘‘बाबा साहेब का सम्मान हम सब करते हैं। वह हम सबके लिए प्रात: वंदनीय, सदैव आदरणीय और अनुकरणीय हैं। देश और देश के बाहर, हर जगह, उनका सम्मान होता है।’’
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा ‘‘हमने कल सदन में अच्छी तरह सुना है। गृह मंत्री ने उनके लिए श्रद्धा जाहिर की और सम्मान व्यक्त किया था। उन्होंने बताया था कि कांग्रेस ने बाबा साहेब का किस तरह अपमान किया। ’’ रिजिजू ने कहा ‘‘जब वह जीवित थे तब उन्हें 1952 में साजिश के तहत कांग्रेस ने चुनाव में हराया। उप चुनाव में भी कांग्रेस ने उन्हें पुन: हराया। अगर बाबा साहेब को कांग्रेस नहीं हराती तो वह 1952 के बाद भी चुनाव जीत कर सदन के सदस्य बने होते।’’ रिजिजू ने कहा कि उनके परिनिर्वाण के बाद भी कांग्रेस ने उन्हें अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्हें भारत रत्न नहीं दिया।
संसदीय मामलों के मंत्री ने कहा कि कांग्रेस आज कौन से मुंह से बाबा साहेब के अपमान की बात करती है, यह तो खुद उसने किया है, बार बार किया है। ‘‘बार बार आंबेडकर का नाम ले कर कांग्रेस छल-कपट करती है।’’ उन्होंने कहा ‘‘मैं बाबा साहेब के बताए रास्ते पर चलने वाला बौद्ध हूं। सन 1951 में बाबा साहेब ने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था। 71 साल बाद मोदी ने दूसरे बौद्ध को मंत्री बनाया। हम आंबेडकर के बताए रास्ते पर चलते हैं। ये लोग उनके नाम का वोट बैंक के लिए दुरुपयोग कर रहे हैं।’’ उन्हें अपमानित कर कांग्रेस ने देश के साथ खिलवाड़ किया है।’’ (भाषा इनपुट्स के साथ)