पेश हों, वरना ऐक्शन लेंगे; समय रैना समेत इन 5 इंफ्लुएंसर्स को SC ने किया तलब
सुप्रीम कोर्ट ने समाय रैना, विपुल गोयल और तीन अन्य इंफ्लुएंसर को नोटिस जारी करते हुए अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर विकलांगों और दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों का मजाक उड़ाने के मामले में सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कॉमेडियन समय रैना और विपुल गोयल समेत पांच सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स को तलब किया है। यह कार्रवाई एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) द्वारा दायर उस याचिका के बाद हुई है जिसमें आरोप लगाया गया था कि इन लोगों ने अपने कंटेंट में शारीरिक रूप से अक्षम और दुर्लभ रोगों से जूझ रहे व्यक्तियों का अपमान किया है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मुंबई के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि वे समय रैना, विपुल गोयल, बलराज परमजीत सिंह घई, सोनाली ठाकर उर्फ सोनाली आदित्य देसाई और निशांत जगदीश तंवर को अगली सुनवाई की तारीख पर अदालत में पेश करें।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, "मुंबई पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया जाता है कि वे इन लोगों को नोटिस तामील करवाएं और सुनिश्चित करें कि वे अगली सुनवाई पर कोर्ट में उपस्थित रहें। यदि ऐसा नहीं होता है तो उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।"
यह आदेश क्योर एसएमए इंडिया फाउंडेशन द्वारा दायर याचिका पर दिया गया है, जिसमें समय रैना पर स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (SMA) के महंगे इलाज को लेकर असंवेदनशील टिप्पणी करने और एक विकलांग व्यक्ति का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यह भी मांग की गई है कि ऐसे ऑनलाइन कंटेंट के प्रसारण पर नियमन होना चाहिए, जो विकलांग व्यक्तियों के जीवन और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करता है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को भी मामले में पक्षकार बनाया और भारत सरकार, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ता फाउंडेशन द्वारा उठाए गए मुद्दे की संवेदनशीलता और महत्व को देखते हुए, हम भारत के अटॉर्नी जनरल से मामले में सहयोग देने का अनुरोध करते हैं।"
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से यह भी सुझाव मांगा कि ऐसे मामलों में असंवेदनशील टिप्पणियों के लिए किन-किन सुधारात्मक और दंडात्मक कदमों की सिफारिश की जा सकती है। पीठ ने टिप्पणी की, "यह स्पष्ट प्रावधानों का उल्लंघन है।" कोर्ट ने आगे कहा कि इस तरह की टिप्पणियां विकलांगों के उत्थान और उनके सामाजिक समावेशन के लिए किए जा रहे विधायी उपायों को नुकसान पहुंचाती हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि "कोई भी भाषण जो किसी समुदाय को अपमानित करने के उद्देश्य से हो… तो हम इसे सीमित करेंगे।" अगली सुनवाई की तारीख जल्द तय की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर फॉलोअर्स रखने वाले लोगों की जिम्मेदारी और जवाबदेही बेहद जरूरी है। कोर्ट ने इसे “हानिकारक” और “मनोबल गिराने वाला” आचरण बताया और कहा कि यह पहले से ही संवेदनशील हालात में जी रहे लोगों को और ज्यादा चोट पहुंचा सकता है।
पीठ ने कहा, “इस तरह की हरकतें न केवल सामाजिक संवेदनशीलता के खिलाफ हैं, बल्कि यह उन लाखों लोगों के आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचाती हैं जो अपनी शारीरिक सीमाओं के बावजूद समाज में गरिमा के साथ जीना चाहते हैं। हमें लगता है कि इसमें कुछ दंडात्मक और सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है।”
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब समय रैना पहले ही अपने शो "इंडियाज गॉट लैटेंट" को लेकर विवादों में घिरे हुए हैं। एक एपिसोड में यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया द्वारा माता-पिता और सेक्स को लेकर की गई टिप्पणी पर देशभर में विरोध हुआ और कई एफआईआर भी दर्ज की गईं। इन एफआईआर में समय रैना, अपूर्वा मुखीजा और आशीष चंचलानी के नाम भी शामिल हैं। कोर्ट ने विशेष रूप से समय रैना को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने उनके द्वारा दृष्टिबाधित और विकलांग व्यक्तियों को लेकर किए गए अपमानजनक टिप्पणियों पर कड़ी नाराजगी जताई।
इस बीच अपूर्वा मुखीजा और रणवीर इलाहाबादिया ने दोबारा सोशल मीडिया पर अपना कंटेंट बनाना शुरू कर दिया है, लेकिन फैंस अभी भी इंतजार कर रहे हैं कि समय रैना कब अपने स्टैंडअप शोज और कॉमेडी गिग्स के साथ वापसी करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से सोशल मीडिया पर सक्रिय कंटेंट क्रिएटर्स के लिए एक स्पष्ट संदेश गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में संवेदनशील वर्गों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।