ग्राहकों की सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, SBI को ठगी मामले में ठहराया जिम्मेदार
- इस मामले में पहले गुवाहाटी हाई कोर्ट ने एसबीआई को ग्राहक को पूरी राशि वापस करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने आरबीआई के सर्कुलर का हवाला देते हुए अपना फैसला सुनाया था, मगर बैंक ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह स्पष्ट किया कि बैंक अपने ग्राहकों को उनके खातों से की गई अनाधिकृत लेनदेन से बचाने की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। कोर्ट ने यह भी कहा कि खाता धारकों को भी सतर्क रहना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि ओटीपी जैसी संवेदनशील जानकारी किसी तीसरे पक्ष के साथ साझा न हो। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के खिलाफ दायर की गई याचिका में सुनवाई के दौरान सुनाया।
इस मामले में एसबीआई ग्राहक के खाते से 94,204.80 रुपये की धोखाधड़ीपूर्ण लेनदेन की रिपोर्ट की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को इस लेनदेन की जिम्मेदारी लेने का निर्देश दिया और ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बैंकों को नई तकनीक अपनाने की सलाह दी।
आखिर क्या था पूरा मामला?
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला उस समय सामने आया जब एक ग्राहक ने ऑनलाइन शॉपिंग के बाद अपना सामान लौटाने का प्रयास किया। ग्राहक को रिटेल विक्रेता के कस्टमर केयर के नाम से एक ठग का कॉल आया। ठग ने ग्राहक से मोबाइल ऐप डाउनलोड करने को कहा, जिसके बाद ग्राहक के खाते से अनाधिकृत लेनदेन हो गया। ग्राहक ने दावा किया कि उसने कभी भी ओटीपी या एम-पिन साझा नहीं किया। वहीं, एसबीआई ने अपनी जिम्मेदारी से इनकार करते हुए कहा कि लेनदेन ग्राहकों द्वारा ओटीपी और एम-पिन साझा करने के कारण अधिकृत था।
दिया गया आरबीआई के दिशा-निर्देशों का हवाला
इस मामले में पहले गुवाहाटी हाई कोर्ट ने एसबीआई को ग्राहक को पूरी राशि वापस करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 6 जुलाई 2017 के सर्कुलर का हवाला दिया, जिसमें यह प्रावधान है कि यदि कोई अनधिकृत लेनदेन तीसरे पक्ष की डेटा चोरी के कारण होता है और ग्राहक इसे तुरंत रिपोर्ट करता है, तो इसमें ग्राहक की कोई लापरवाही नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या सुनाया निर्णय
एसबीआई ने हाई कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना कि ग्राहक ने धोखाधड़ी की घटना को 24 घंटे के भीतर बैंक को सूचित कर दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, "बैंक को सतर्क रहना चाहिए और अनाधिकृत लेनदेन को रोकने के लिए उपलब्ध सर्वोत्तम तकनीक का उपयोग करना चाहिए।" साथ ही, खाता धारकों को भी सतर्क रहने और किसी भी परिस्थिति में ओटीपी या पासवर्ड साझा न करने की सलाह दी गई।