Hindi Newsदेश न्यूज़Supreme Court said that parents can be legally forced to pay for the education of girls

फीस के लिए मां-बाप को कानूनी रूप से किया जा सकता है मजबूर; लड़कियों की पढ़ाई को लेकर SC

  • Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि लड़कियों को अपनी पढ़ाई जारी रखने का अधिकार है। अगर माता-पिता आर्थिक रूप से मदद नहीं कर रहे तो उन्हें कानूनी रूप से मजबूर करके सामर्थ्य के अनुसार पैसे देने के लिए कहा जा सकता है।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानThu, 9 Jan 2025 11:39 PM
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लड़कियों की उच्च शिक्षा के मामले में सु्प्रीम कोर्ट की तरफ से बड़ा बयान सामने आया है। एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि एक बेटी के पास अपने माता-पिता से पढ़ाई के खर्च पाने का अधिकार है। माता-पिता को भी उनके सामर्थ्य के अनुसार इसे भुगतान करने के लिए कानूनी रूप से मजबूर किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह टिप्पणी जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान की। इस मामले में विवाद के बाद अलग हो चुके पति-पत्नि की एक लड़की आयरलैंड में पढ़ रही है। इस केस में पति ने अपनी पत्नी को एलमनी के रूप में बेटी को 43 लाख देने का फैसला किया। हालांकि बेटी ने यह पैसा लेने से इनकार कर दिया। इस पर कोर्ट ने कहा कि एक बेटी अपने माता-पिता से पढ़ाई का खर्च लेने के लिए कानूनी रूप से अधिकार रखती है। हम देखते हैं कि बेटी को अपनी शिक्षा जारी रखने का मौलिक अधिकार होता है। माता-पिता को भी उनके सामर्थ्य के अनुसार कानूनी रूप से इसके लिए बाध्य किया जा सकता है।

कोर्ट के अनुसार बेटी ने अपनी गरिमा बनाए रखने के लिए पिता द्वारा दिए गए पैसों को लेने से इनकार कर दिया। उसने इसे वापस करने की भी कोशिश की लेकिन उन्होंने लेने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा की बेटी कानूनी तौर पर इस रकम की हकदार है।

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कोर्ट ने कहा कि पिता ने बिना किसी जरूरत के बेटी को यह पैसा देने का फैसला किया है। जिससे यह साफ है कि वह बेटी की पढ़ाई के लिए आर्थिक रूप से मदद करने में सक्षम हैं। कोर्ट ने कहा कि इस आधार पर न तो बेटी को और न ही मां को उस राशी को वापस करने की आवश्यकता नहीं है। वह इसे जैसे चाहे वैसे खर्च कर सकते हैं।

कोर्ट ने कहा कि अपनी पत्नी से अलग रह रहे व्यक्ति ने पत्नी और बेटी को कुल मिलाकर 73 लाख रुपए देने का फैसला किया था। इसमें उसने 43 लाख रुपये बेटी की पढ़ाई के लिए जबकिबाकी रूपए उसकी पत्नी के लिए थे। दोनों पति पत्नी पिछले 26 सालों से अलग रह रहे थे। इसलिए पीठ ने आपसी सहमति से उनके तलाक की मंजूरी दे दी।

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