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बहुत बड़ी गलती; सुप्रीम कोर्ट ने क्यों HC को खूब सुनाया और पलट दिया पोर्नोग्राफी पर फैसला

  • चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर नियम तय किए जाएं ताकि बच्चों को उत्पीड़न से बचाया जा सके। इसके अलावा चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाया, जिसमें कहा गया था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी को सिर्फ डाउनलोड करना और देखना अपराध नहीं है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 23 Sep 2024 01:28 PM
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चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि इसे डाउनलोड करना और देखना पॉक्सो ऐक्ट के तहत अपराध है। इसके साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार को सलाह दी कि वह संसद से कानून पारित कराए, जिसमें बच्चों के यौन उत्पीड़न को लेकर स्पष्ट प्रावधान हों। चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर नियम तय किए जाएं ताकि बच्चों को उत्पीड़न से बचाया जा सके। इसके अलावा चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाया, जिसमें कहा गया था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी को सिर्फ डाउनलोड करना और देखना अपराध नहीं है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय का यह फैसला पूरी तरह से गलत था और यह चूक थी। उच्च न्यायालय ने 28 साल के एक शख्स पर लगे आरोपों के मामले में यह फैसला सुनाया था। शख्स पर आरोप था कि उसने फोन में चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड की थी और उसे देखा था। अदालत ने इस मामले में युवक के खिलाफ कार्रवाई को खारिज कर दिया था। कोर्ट का कहना था कि आज बच्चे चाइल्ड पोर्नोग्राफी का शिकार हो रहे हैं। समाज को इस बारे में बच्चों को जागरूक करना चाहिए और शिक्षित करना चाहिए। इसकी बजाय उन्हें दंडित करना ठीक नहीं है।

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अब उच्चतम न्यायालय ने मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया है और युवक के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में पॉक्सो ऐक्ट के सेक्शन 15 का जिक्र किया, जिसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी वाली सामग्री को रखना अपराध माना गया है। इस सेक्शन में कहा गया है, 'यदि कोई व्यक्ति चाइल्ड पोर्नोग्राफी वाली सामग्री रखता है तो उस पर 5 हजार तक का फाइन लगेगा।

इसके बाद भी ऐसा ही अपराध करने पर 10 हजार फाइन और फिर ऐसा किए जाने पर फाइन के साथ ही तीन से 5 साल तक की सजा हो सकती है।' यही नहीं बाद में भी ऐसा होने पर 7 साल तक की कैद हो सकती है। इसी प्रावधान का जिक्र करते हुए शीर्ष अदालत ने यह फैसला सुनाया।

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