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पीलीभीत की रैली में PM मोदी के साथ क्यों नहीं दिखे वरुण गांधी और मेनका, इनसाइड स्टोरी

पीएम नरेंद्र मोदी खुद ऐसे इलाकों में जाकर कैंपेन कर रहे हैं, जहां के बारे में चर्चा है कि टिकट कटने से नाराजगी है। वह 6 अप्रैल को गाजियाबाद में रोड शो के लिए पहुंचे थे तो मंगलवार को पीलीभीत गए।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 10 April 2024 09:23 AM
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भाजपा ने उत्तर प्रदेश में कई सीटों पर चर्चित सांसदों के भी टिकट काटे हैं, लेकिन अब तक उन नेताओं को भी साधने में कामयाब रही है। पीएम नरेंद्र मोदी खुद ऐसे इलाकों में जाकर कैंपेन कर रहे हैं, जहां के बारे में चर्चा है कि टिकट कटने से नाराजगी है। वह 6 अप्रैल को गाजियाबाद में रोड शो के लिए पहुंचे थे तो वहीं मंगलवार को वह पीलीभीत में रैली के लिए पहुंचे। आमतौर पर पीलीभीत और गाजियाबाद जैसी सीटें भाजपा की गढ़ रही हैं। फिर भी यहां खुद पीएम मोदी के पहुंचने की वजह यही थी कि स्थानीय स्तर पर नाराजगी को साधा जा सके।

पीलीभीत में तो पीएम मोदी 10 सालों में पहली बार रैली के लिए पहुंचे थे। यहां से रैली करके वह बरेली और पीलीभीत दोनों ही सीटों को साधना चाहते थे। यही वजह थी कि जिस तरह गाजियाबाद में रोड शो के दौरान पीएम मोदी के बगल में मौजूदा सांसद वीके सिंह खड़े थे तो वहीं पीलीभीत की रैली में बरेली के सांसद संतोष गंगवार भी मंच पर थे। लेकिन पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी मौके पर नहीं थे, जिनका टिकट काटकर इस बार जितिन प्रसाद को मौका मिला है। यही नहीं उनकी मां मेनका गांधी भी मंच पर नहीं थीं, वह भी पीलीभीत से सांसद रही हैं। 

भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी वरुण गांधी की ओर से बीते कई सालों से की जा रही टिप्पणियों से नाखुश है। उन्होंने किसान आंदोलन समेत कई मामलों में पार्टी के विपरीत राय रखी थी। कहा जा रहा है कि पीलीभीत की रैली के लिए वरुण गांधी और मेनका गांधी को न्योता ही नहीं मिला था। बता दें कि यहां से कैंडिडेट बने जितिन प्रसाद यूपी सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री हैं। उन्होंने भी टिकट मिलने के बाद कहा था कि पार्टी लाइन से विपरीत नहीं बोलना चाहिए। माना गया था कि उनका इशारा वरुण गांधी की ओर ही था, हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया था। 

यही नहीं भाजपा ने वरुण गांधी और मेनका गांधी को अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट में भी शामिल नहीं किया है। दरअसल भाजपा खुद को एक अनुशासित पार्टी मानती है और नेताओं से अपेक्षा की जाती है कि किसी भी निर्णय को वह स्वीकार करें। वीके सिंह और संतोष गंगवार जैसे दिग्गज नेताओं के टिकट भले कट गए, लेकिन उन्होंने किसी पर कोई कटाक्ष नहीं किया। यही नहीं दोनों नेता रोडशो और रैली के मंच पर भी रहे। माना जा रहा है कि पार्टी इससे एक तरफ संसद में नए चेहरे लाने की कोशिश करेगी तो वहीं इन नेताओं को भी राज्यपाल जैसी किसी भूमिका में भेजा जा सकता है।

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