तीन दिन के भीतर 2 झटके, क्या हिमालयी इलाकों में विनाशकारी भूकंप आने की यह आहट?
भारतीय भूकंपविज्ञानियों के नेतृत्व में साल 2018 में एक स्टडी पूरी हुई। इसमें बताया गया कि उत्तराखंड से पश्चिमी नेपाल तक फैला मध्य हिमालय भविष्य में कभी भी जोरदार झटके से प्रभावित हो सकता है।
दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई इलाकों में सोमवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 5.6 मापी गई। बीते तीन दिनों में आने वाला यह भूकंप का दूसरा जोरदार झटका रहा। साथ ही महीने भर के अंदर तीसरी बार इस तरह से धरती कांपी है। आज शाम आए भूकंप से लोगों में दहशत फैल गई। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कई लोगों ने फर्नीचर के बहुत तेज हिलने की सूचना दी। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने लोगों के घरों से बाहर निकलने के दृश्य शेयर किए। वहीं, शुक्रवार की रात नेपाल में आए 6.4 तीव्रता के भूकंप की चपेट में आने से 157 लोगों की मौत हो गई और 160 से अधिक घायल हुए हैं।
पृथ्वी में बार-बार महसूस हो रही इस हलचल ने चिंता बढ़ा दी है। सवाल उठ रहा है कि क्या हिमालयी इलाकों में भूकंप का जोरदार झटका आने वाला है। वैज्ञानिक भी इसे लेकर चेतावनी देते रहे हैं। अनुमान है कि हिमालयन रीजन में 8.5 से भी अधिक तीव्रता का भूकंप आ सकता है। भारतीय भूकंपविज्ञानियों के नेतृत्व में 2018 में एक स्टडी पूरी हुई। इसमें बताया गया कि उत्तराखंड से पश्चिमी नेपाल तक फैला मध्य हिमालय भविष्य में कभी भी प्रभावित हो सकता है। बेंगलुरु में जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च के शोधकर्ताओं ने पिछले विनाशकारी भूकंपों से तुलना की है।
अब तक आए बड़े भूकंपों की हुई स्टडी
2015 में नेपाल में आए जोरदार भूकंप में करीब 9,000 लोगों की जान चली गई। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 8.1 मापी गई। 2001 में गुजरात में विनाशकारी भूकंप आया था। इसकी चपेट में आने से 13,000 से अधिक लोगों की मौतें हुईं, जिसकी तीव्रता 7.7 दर्ज की गई। भूकंप को लेकर अध्ययन से मिले नतीजे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के जियोग्लोबल डेटा व मानचित्रों, गूगल अर्थ इमेजरी और इसरो की सैटेलाइट इमेजरी पर आधारित हैं। स्टडी से संकेत मिला कि 14वीं और 15वीं शताब्दी के बीच मध्य हिमालय में विनाशकारी भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता 8.5 और 9 रही। इससे 600 किलोमीटर का भूभाग प्रभावित हुआ था।
छोटे भूकंपों को क्यों नहीं कर सकते नजरअंदाज
मध्य हिमालय में लगातार कम तीव्रता वाले भूकंप आए हैं। मगर, कई शताब्दियों से कोई बड़ी भूकंपीय गतिविधि नहीं देखी गई। यह स्थिति इस क्षेत्र में तनाव के निर्माण का संकेत देती है, जिससे निष्कर्ष निकला कि एक बड़ा भूकंप आने में देर हो गई है। चेतावनियों के बावजूद अक्टूबर में नेपाल में आए भूकंप ने विज्ञानियों को हैरान कर दिया। दरअसल, हिमालय के नीचे दबाव बन रहा है, जो कि यूरेशियन प्लेट और भारतीय प्लेट की सक्रिय सीमा पर स्थित है। एक्सपर्ट्स का मानना रहा है कि छोटे भूकंपों को सामान्य घटना के रूप में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, बल्कि इसे आने वाले बड़े भूकंप की आहट मान सकते हैं। इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है।