लेफ्ट के साथ जाकर कांग्रेस ने किया 'राइट'? लेकिन CPM की हालत हुई टाइट; आंकड़ों से समझें
कांग्रेस ने 59 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन नतीजों में पार्टी को निराशा ही हाथ लगी। चुनाव नतीजों के अनुसार, उस दौरान कांग्रेस के 59 उम्मीदवार न केवल हारे बल्कि 58 की जमानत भी जब्त हो गई थी।
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में मतगणना का दौर जारी है। अब तक अंतिम परिणामों का ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन चुनावी रुझानों से संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस को वाम दल के साथ गठबंधन करना फायदेमंद साबित हो रहा है। वहीं, 2018 के मुकाबले सीपीएम की हालत टाइट नजर आ रही है। राज्य में रुझानों के आधार पर भारतीय जनता पार्टी बहुमत हासिल करती नजर आ रही है।
भारत निर्वाचन आयोग यानी ECI के आंकड़े बताते हैं कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) 12 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं, कांग्रेस को 4 सीटों पर बढ़त हासिल है। इनके अलावा भाजपा 32 सीटों पर बढ़त के साथ तालिका में सबसे ऊपर है। अगर पार्टी की यह बढ़त बरकरार रही, तो पूर्वोत्तर राज्य में दूसरी बार सत्ता हासिल करेगी। राज्य में इंडीजीनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) एक सीट पर आगे है।
केरल में प्रतिद्वंदी और त्रिपुरा में साथ आए कांग्रेस और वाम दल के बीच सीट बंटवारे को लेकर भी तनाव की खबरें आई थीं। हालांकि, बाद में फॉर्मूले पर सहमति बनी और कांग्रेस 13 सीटों पर लड़ने के लिए तैयार हो गई थी। जबकि, लेफ्ट ने 47 सीटों पर उतरने का फैसला किया। इससे पहले दोनों दल पश्चिम बंगाल में भी साथ आए थे, लेकिन नतीजे अच्छे नहीं रहे।
बीते चुनाव में क्या थे आंकड़े
2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 59 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन नतीजों में पार्टी को निराशा ही हाथ लगी। चुनाव नतीजों के अनुसार, उस दौरान कांग्रेस के 59 उम्मीदवार न केवल हारे बल्कि 58 की जमानत भी जब्त हो गई थी। वहीं, 57 सीटों पर उतरी सीपीएम 16 पर जीत दर्ज करने में सफल हुई थी।
ऐसे में अगर ताजा रुझान नतीजों में भी नजर आते हैं, तो कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने 2018 का अपना सूखा खत्म कर लिया। हालांकि, 16 सीट पर जीतने वाला वाम दल 11 पर अटका रह जाएगा।
बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा 51 सीटों पर उतरी और 35 सीटों पर जीत के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। राज्य में भाजपा ने 9 में से 8 सीटों पर विजय हासिल करने वाली IPFT के साथ सरकार बनाई थी।