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सख्ती: जेपी एसोसिएट्स को 2000 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने रीयल एस्टेट फर्म जेपी एसोसिएट्स को 27 अक्तूबर तक सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में दो हजार करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा अंतरिम...

विशेष संवाददाता नई दिल्लीTue, 12 Sep 2017 01:08 AM
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सुप्रीम कोर्ट ने रीयल एस्टेट फर्म जेपी एसोसिएट्स को 27 अक्तूबर तक सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में दो हजार करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा अंतरिम समाधान की व्यवस्था के रूप में नियुक्त पेशेवर (आईआरपी) को इसका प्रबंधन अपने हाथ में लेने और खरीदारों तथा कर्जदाताओं के हितों के संरक्षण की योजना तैयार करने का निर्देश भी दिया।

 मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, ए.एम. खानविलकर और डी.वाई. चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय पीठ ने आईआरपी से कहा कि वह 45 दिन में समाधान योजना पेश करे, जिसमे फ्लैट खरीदारों और कर्जदाताओं के हितों के संरक्षण भी हो। 
पीठ ने कहा, हमारे लिए फ्लैट खरीदारों के हितों का संरक्षण सबसे ऊपर है। हम उनके लिए चिंतित हैं और उनके संरक्षण के लिए कर्तव्यबद्ध हैं, कंपनी बंगाल की खाड़ी में जाए या अरब सागर में। कोर्ट ने कंपनी को डांटा और कहा कि आप स्वयं को कितने भी प्रामणपत्र दे दीजिए, लेकिन हमें इससे कोई मतलब नहीं है। हमें फ्लैट खरीदारों से मतलब है जो मध्यवर्ग के हैं। 

शीर्ष अदालत ने यह आदेश देकर एक तरह से जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दे दी, लेकिन उपभोक्ता आयोग जैसे दूसरे मंचों पर इसके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही पर रोक लगा दी। 


कोर्ट ने जेपी एसोसिएट्स की सहायक कंपनी जेपी इंफ्राटेक के प्रबंध निदेशक और निदेशकों को शीर्ष अदालत की अनुमति के बगैर देश से बाहर जाने से रोक दिया है। हालांकि, पीठ ने जेपी एसोसिएट्स को आईआरपी की स्वीकृति से अपनी जमीन और दूसरी संपत्ति बेचकर दो हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था करने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा कि वह इस पैसे के लिए जमीन बेच सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें कोर्ट से अनुमति लेनी होगी। 

शीर्ष अदालत ने 4 सितंबर को इस कंपनी को दिवालिया घोषित करने के लिए कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। पीठ ने अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल से आग्रह किया था कि दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही के खिलाफ और फ्लैट खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए दायर याचिकाओं पर फैसला लेने में सहयोग करें। सोमवार को उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया दिवालिया घोषित करने के पर लगाए गए स्टे को हटाया जाए, क्योंकि आईआरपी नियुक्त कर दिया गया है। 

याचिकाकर्ता चित्रा शर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजित सिन्हा ने आरोप लगाया था कि फ्लैट खरीदारों तथा दूसरों के करीब 25 हजार करोड़ रुपये इसमें फंसे हुए हैं। जेपी इंफ्राटेक की विभिन्न परियोजनाओं में करीब 32 हजार व्यक्तियों ने फ्लैट बुक कराए हैं। मामले की अगली सुनवाई नंवबर में होगी।

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