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फडणवीस की तारीफ, विरोध से दूरी; क्या है संजय राउत की मजबूरी? क्यों बदले सुर

राज्यसभा सांसद संजय राउत ने गुरुवार को ही संकेत दिए कि राजनेताओं के बीच खटास को खत्म होना चाहिए। अब सवाल है कि विपक्ष को तीखे शब्दों में आड़े हाथों लेने वाले राउत का रुख एकदम कैसे बदल गया?

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईSat, 12 Nov 2022 07:40 AM
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शिवसेना (अब शिवसेना- उद्धव बालासाहेब ठाकरे) जमानत पर बाहर आ गए हैं। हमेशा तीखी बयानबाजी के लिए मशहूर राउत का इस बार रुख नरम पड़ता दिख रहा है। हाल ही में उन्होंने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तारीफ की। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने की भी बात कही। अब फायर ब्रांड नेता के इस बदले रूप को समझने की कोशिश करते हैं।

क्या बोले राउत?
गुरुवार को उन्होंने कहा, 'मैं किसी की भी आलोचना नहीं करूंगा और न ही खिलाफ बोलूंगा। फिर चाहे वह केंद्रीय एजेंसियां हों या सरकार हो। मेरी पार्टी और मैंने भुगता है। हम केवल विरोध करने के लिए ही किसी का भी विरोध नहीं करेंगे। अगर उन्होंने अच्छा काम किया है, तो हम प्रोत्साहित करेंगे और स्वागत करेंगे। मौजूदा शासन ने भी कुछ अच्छे काम किए हैं।'

उन्होंने कहा था, 'जो फैसले देश या राज्य के लिए सही हैं, उनका स्वागत किया जाना चाहिए। मैं देवेंद्र फडणवीस की तरफ से लिए गए फैसलों का स्वागत करता हूं। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से जल्दी मिलूंगा।'

क्या हो सकती हैं तेवर बदलने की वजह?
राउत ने गुरुवार को ही संकेत दिए कि राजनेताओं के बीच खटास को खत्म होना चाहिए। अब सवाल है कि विपक्ष को तीखे शब्दों में आड़े हाथों लेने वाले राउत का रुख एकदम कैसे बदल गया? कहा जा रहा है कि सांसद का यह कदम भाजपा के साथ समाधान करने का एक प्रयास लग रहा है। इसके अलावा उनके खिलाफ जारी मामला अभी बंद नहीं हुआ है और इसके जरिए वह केंद्रीज एजेंसियों को दूर रखना और भाजपा के साथ किसी तनाव से बचना चाह रहे हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि राउत के रुख में बदलाव भाजपा और उनके बीच बातचीत के संकेत दे रहा है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, एक नेता ने कहा, 'राउत 100 से ज्यादा दिनों तक जेल में रहे। स्वभाविक है कि वह उस माहौल में रहना नहीं चाहत, फिर भले ही अदालत ने उनके पक्ष में बात कही हो। ऐसा लग रहा है कि यह भाजपा या शिंदे गुट के बीच तनातनी से बचने के लिए उनकी रणनीति है।'

क्या कहता है शिंदे समूह?
रिपोर्ट के अनुसार, बालासाहेबांची शिवसेना इस कदम को राउत का 'निजी एजेंडा' करार दे रही है। पार्टी प्रवक्ता किरण पावस्कर का कहना है, 'एक तरफ उद्धव ठाकरे भाजपा की आलोचना कर रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि केंद्रीय एजेंसियां विपक्षी दलों को निशाना बना रही हैं। फिर राउत हैं, जो फडणवीस की तारीफ कर रहे हैं। यह दिखाता है कि उनके बीच कुछ गलत है।'

क्या है मामला?
पात्रा चॉल परियोजना में घोटाले के चलते राउत को 1 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें बुधवार को ही मामले में जमानत दी गई है। गिरफ्तारी से पहले ईडी ने जुलाई में उनके आवास पर छापेमारी भी की थी।

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