2000 करोड़ में खरीदा गया शिवसेना का नाम और निशान, संजय राउत ने शिंदे पर लगाए बड़े आरोप
भारत के चुनाव आयोग की तरफ से एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना बताने और चुनाव चिन्ह सौपने के इलेक्शन कमीशन के फैसले की आलोचना हो रही है। उद्धव गुट के नात संजय राउत ने चुनाव आयोग के फैसेल को डील बताया।
चुनाव आयोग की भूमिका को हर सियासी हलचल के बीच सवालों के घेरे में लिया जाता है। विपक्ष आरोप लगा रहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार और बीजेपी ने चुनाव आयोग को अपने नियंत्रण में ले लिया है। इस बार महाराष्ट्र में बीजेपी के सहयोगी एकनाथ शिंदे के गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह सौंपे जाने के बाद शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा है।
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने रविवार को आरोप लगाया कि शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह को "खरीदने" के लिए 2,000 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है। राउत ने एक ट्वीट में दावा किया कि 2,000 करोड़ रुपये एक प्रारंभिक आंकड़ा था और यह 100 प्रतिशत सच था। राज्यसभा सदस्य ने कहा कि उनके दावे के पीछे कई सबूत हैं जिसका खुलासा वह जल्द ही करेंगे। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल के करीबी एक बिल्डर ने उन्हें यह बात बताई है।
राज्यसभा सदस्य ने कहा, "अब तक उस मामले में 2,000 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है। यह मेरा शुरुआती अनुमान है। यह फैसला खरीदा गया था।"
उन्होंने संवाददाताओं से यह भी कहा कि जिस तरह से भारत के चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी, वह न्याय नहीं बल्कि बिजनेस था।
राउत ने अपने आरोपों में कहा, "चुनाव आयोग का फैसला सौदा है। मेरे पास विश्वसनीय जानकारी है कि शिवसेना के नाम और उसके चुनाव चिन्ह को हासिल करने के लिए 2000 करोड़ रुपये का सौदा हुआ है। यह प्रारंभिक आंकड़ा है और 100 फीसदी सच है।"
उधर विपक्ष ने दावा किया कि चुनाव आयोग को मोदी सरकार ने पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया है। उद्धव ठाकरे के मुताबिक, कांग्रेस, राजद जैसे विपक्षी दलों का मानना है कि चुनाव आयोग ने मोदी युग में अपनी स्वतंत्रता को पूरी तरह से त्याग दिया है।
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