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शादी के अधिकार का मतलब संसद को मजबूर करना नहीं, समलैंगिक रिश्ते पर SC में सरकार

समलैंगिक शादी को मान्यता देने की मांग वाली अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को भी सुनवाई जारी है। केंद्र ने अदालत में कहा कि शादी करने के अधिकार का यह अर्थ नहीं है कि संसद को मजबूर किया जाए।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 26 April 2023 03:30 PM
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समलैंगिक शादी को मान्यता देने की मांग वाली अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को भी सुनवाई जारी है। इस दौरान केंद्र सरकार ने अदालत में कहा कि शादी करने के अधिकार का यह अर्थ नहीं है कि संसद को मजबूर किया जाए। सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शादी करने के अधिकार में संसद पर शादी की परिभाषा बदलने के लिए दबाव डालना शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि यह मामला काफी जटिल है और अदालत को चाहिए कि वह इसे संसद पर ही छोड़ दे। इसकी वजह यह है कि देश के सामाजिक ताने-बाने पर इसका बड़ा असर होगा। 

उन्होंने कहा कि आखिर यह फैसला कौन लेगा कि किन लोगों के बीच रिश्ते को शादी कहा जाए। इससे पहले भी सरकार ने समलैंगिक शादियों को मान्यता देने का विरोध करते हुए कहा था कि यह शहरी एलीट वर्ग के बीच की सोच है। देश में अलग-अलग तरह के लोग हैं और इस बात को सभी से नहीं जोड़ा जा सकता। इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि आखिर समलैंगिक शादियां शहरी एलीट वर्ग के बीच की ही सोच है, यह सरकार को किस डाटा से पता चला है। यही नहीं बुधवार को भी चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार का यह तर्क उसका पूर्वाग्रह बताता है।

सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने समलैंगिक शादियों की बात पर कहा कि सभी धर्म विपरीत लिंग के बीच ही विवाह को मान्यता देते हैं। उन्होंने कहा कि अदालत के पास एक ही संवैधानिक विकल्प है कि इस मामले को संसद के ऊपर ही छोड़ दिया जाए। उन्होंने कहा कि समलैंगिक शादियों को मान्यता देने पर अदालत फैसला नहीं कर सकती। इसकी 4 वजहें भी उन्होंने गिनाईं। सॉलिसिटरल जनरल ने कहा, 'पहला, यह कि अदालत किसी भी कानून की प्रकृति में बदलाव नहीं कर सकती। दूसरा, यह कि अदालत ऐसा कोई काम नहीं कर सकती, जो संसद के दायरे में आता हो। तीसरी बात यह किे अदालत अपनी तरफ से शादी की परिभाषा नहीं बना सकती।'

तुषार मेहता ने कहा कि चौथा मसला है कि अदालत ऐसा कोई फैसला नहीं दे सकती, जिससे अनचाहे तौर पर अन्य कपल्स की जिंदगी पर असर पड़ता हो। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि समलैंगिक शादियों पर फैसले से कैसे विपरीत लिंग वाले कपल्स पर असर होगा। 

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