HP-गुजरात के नतीजे लिखेंगे राजस्थान की दास्तान? जीत से सचिन पायलट खेमा खुश, हार पर अशोक गहलोत पर वार
शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश के नतीजों पर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली को कांग्रेस की जीत की बड़ी वजह बताया। खास बात है कि यहां उन्होंने पायलट का जिक्र नहीं किया।
गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर राजस्थान की राजनीति पर भी पड़ता नजर आ रहा है। एक ओर जहां सचिन पायलट के समर्थक हिमाचल में कांग्रेस की जीत और गुजरात में हार की बात पर जोर दे रहे हैं। वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कैंप इस जीत में पायलट की भागेदारी से इनकार कर रहा है। पहाड़ी राज्य में कांग्रेस सरकार बना रही है। जबकि, गुजरात में पार्टी की हालत पतली हो गई है।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल में जीत और गुजरात की करारी हार को लेकर सोशल मीडिया पर पायलट समर्थक उत्साहित हैं। कई नेता राजस्थान की कमान युवा नेता के हाथों में सौंपने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस नेता सुशील असोपा ने ट्वीट किया, 'मोदी के गृह राज्य में कांग्रेस नहीं जीत पाई लेकिन भाजपा अध्यक्ष नड्डा के गृह राज्य में प्रियंका गांधी जी और सचिन पायलट जी ने भाजपा को पटखनी दे दी। अब कांग्रेस को युवा हाथों में सौंपने का वक्त आ चुका है चाहे कोई राज्य हो।'
भारतीय किसान यूनियन युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष और पायलट समर्थक विक्रिम सिंह मीणा ने भी एक ट्वीट में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को टैग किया। उन्होंने लिखा, 'हिमाचल प्रदेश में सचिन पायलट साहब आब्जर्वर थे। परिणाम-BJP को बराबर की टक्कर दी है। गुजरात मे अशोक गहलोत जी आब्जर्वर थे। परिणाम -कांग्रेस का सूपड़ा साफ। अब भी वक़्त है राहुल गांधी जी राजस्थान बचाना हैं तो, सचिन पायलट लाओ, बाकी आपकी मर्जी मल्लिकार्जुन खड़गे जी।'
नतीजों पर गहलोत और पायलट की राय
शुक्रवार को हिमाचल के नतीजों पर गहलोत ने पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली को कांग्रेस की जीत की बड़ी वजह बताया। खास बात है कि यहां उन्होंने पायलट का जिक्र नहीं किया। उन्होंने कहा, 'प्रचार अच्छा था और टिकट उचित उम्मीदवारों को दिए गए। प्रियंका गांधी वाड्रा ने खुद पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। लेकिन इसके साथ ही पुरानी पेंशन व्यवस्था का वहां चुनाव में जीतने में बड़ा रोल रहा।'
इधर, पायलट ने गुजरात के नजीजों को 'उम्मीदों से काफी कम बताया।' उन्होंने कहा, 'हिमाचल के नतीजे बताते हैं कि अगर कांग्रेस सही रणनीति लगाए और प्रचार करे और असरदार तरीके से अपनी बात पहुंचाए, तो हम भाजपा को हरा सकते हैं।' हालांकि, पहाड़ी राज्य में साल 1985 से ही सत्ता बदलती रही है।
नतीजे और भूमिका समझें
हिमाचल प्रदेश में भाजपा के खाते में 43 फीसदी वोट आए। जबकि, कांग्रेस को 43.9 प्रतिशत वोट मिले। यहां अंतर महज 37 हजार 974 मतों का रहा। पार्टी ने यहां 68 में से 40 सीटें जीती और भाजपा 25 पर आ गई। 182 सीटों वाले गुजरात में कांग्रेस 17 सीटों पर सिमट गई और भाजपा ने रिकॉर्ड 156 सीटें जीती।
गुजरात में सीएम गहलोत सीनीयर ऑब्जर्वर थे और रघु शर्मा प्रदेश प्रभारी थे। हिमाचल में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सीनियर ऑब्जर्वर थे। जबकि, पायलट और प्रताप सिंह बाजवा को जुलाई में ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया था। कहा जा रहा है कि हिमाचल के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आने से पायलट की छवि बेहतर होगी, लेकिन राजस्थान की राजनीति पर इसका असर होने के आसार नहीं हैं।