दशहरे पर आरएसएस नेताओं को निशाना बनाने की थी प्लानिंग, NIA ने यूं कसा PFI पर शिकंजा
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने चिंता जताई कि पीएफआई पूरे देश में फैला हुआ है, इसलिए एक अकेला राज्य इससे नहीं लड़ सकता है, इसलिए केंद्र द्वारा इसे प्रतिबंधित करने की आवश्यकता है।
इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने अगले महीने दशहरे के दौरान भाजपा व आरएसएस के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाने और उनकी गतिविधियों की निगरानी करने की योजना बनाई थी। महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते के सूत्रों ने ये जानकारी दी। बता दें कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पिछले हफ्ते देश भर में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के दफ्तरों पर छापा मारा था। संगठन पर आरोप है कि इसके सदस्य आतंकवादी समूहों के साथ काम कर रहे हैं।
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का नागपुर मुख्यालय, पीएफआई की टारगेट की लिस्ट में था। सूत्रों ने कहा कि पीएफआई ने विशेष रूप से महाराष्ट्र में दशहरे पर आरएसएस के वरिष्ठ नेताओं की गतिविधियों पर नजर रखने की योजना बनाई थी। पीएफआई के सैकड़ों सदस्यों को पिछले सप्ताह 10 राज्यों में एनआईए की छापेमारी में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार किए गए पीएफआई सदस्यों में से 20 महाराष्ट्र के थे।
असम ने गृह मंत्रालय से पीएफआई को आतंकवादी समूहों के साथ कथित संबंधों के लिए प्रतिबंधित करने की मांग की है। असम में भी भारी संख्या में संगठन के सदस्य पकड़े गए थे। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने चिंता जताई कि पीएफआई पूरे देश में फैला हुआ है, इसलिए एक अकेला राज्य इससे नहीं लड़ सकता है, इसलिए केंद्र द्वारा इसे प्रतिबंधित करने की आवश्यकता है।
पीएफआई द्वारा पिछले शुक्रवार को केरल में आहूत दिनभर की हड़ताल के बीच राज्य में कई जगहों पर सार्वजनिक परिवहन की बसों पर पथराव होने, दुकानों, वाहनों को क्षति पहुंचाने और कुछ जगहों पर हिंसा की घटनाओं की सूचना मिली थी। इसके बाद केरल उच्च न्यायालय ने पीएफआई की हड़ताल और राज्य में आज हुई हिंसा की घटनाओं पर संज्ञान लिया। अदालत ने कहा कि हड़ताल पर उसने पहले ही रोक लगा रखी है और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना स्वीकार नहीं किया जाएगा।