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मैंने तो हर सप्ताह 90 घंटे मेहनत की और बेकार नहीं गई, बहस के बीच फिर बोले नारायणमूर्ति

एनआर नारायणमूर्ति ने अब कहा है कि वह तो 1994 से ही सप्ताह में 90 घंटे तक काम करते रहे हैं और इसका फायदा मिला है। उन्होंने कहा कि गरीबी से बाहर निकलने का मेहनत ही एकमात्र रास्ता है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, बेंगलुरुMon, 11 Dec 2023 04:31 PM
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इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने पिछले दिनों यह कहकर एक नई बहस छेड़ दी थी कि युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि हमें हर दिन 14 से 15 घंटे काम करना होगा, यदि हम चीन से मुकाबला करना चाहते हैं। उनके इस बयान को लेकर बंटी हुई राय सामने आई थी। कुछ लोगों ने नारायणमूर्ति का यह कहते हुए समर्थन किया था कि विकास के लिए मेहनत जरूरी है तो वहीं कुछ ने यह भी कहा कि इतना काम करने से युवाओं का विकास नहीं होगा बल्कि कंपनियों ही फायदा होगा। अब इस पर नारायणमूर्ति ने अपना ही उदाहरण दे दिया है।

उनका कहना है कि वह हमेशा एक ही वीक ऑफ लेते रहे हैं। वह सुबह 6:20 पर ही ऑफिस पहुंच जाते थे और शाम को 8:30 बजे तक निकलते थे। मूर्ति ने कहा कि काम का कोई विकल्प नहीं है। कारोबारी ने कहा कि मैं जानता हूं कि जो भी देश आगे बढ़ा है और समृद्धि हासिल की है, उसके लिए मेहनत से ही यह संभव हुआ है। मूर्ति ने कहा कि मैं बहुत शुरुआती दौर से कठिन मेहनत करता रहा हूं। उन्होंने कहा कि मेरे पैरेंट्स ने मुझे सिखाया था कि गरीबी से आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता यह है कि अत्यधिक मेहनत की जाए। इसके लिए जरूरी है कि हम घंटे ज्यादा से ज्यादा काम करें और नतीजे दें।

आठ भाई-बहनों में 5वें नंबर के नारायणमूर्ति के पिता मैसुरु में एक स्कूल टीचर थे। मूर्ति ने मैसुरु यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी और फिर आईआईटी कानपुर से कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई की थी। अपने 40 साल से ज्यादा के प्रोफेशनल करियर का जिक्र करते हुए नारायणमूर्ति ने कहा कि मैंने हर सप्ताह करीब 70 घंटे तक काम किया था। उन्होंने कहा, 'मैं 1994 से ही करीब 85 से 90 घंटे तक काम करता रहा हूं। यह बेकार नहीं गया।' दरअसल पिछले दिनों एक पॉडकास्ट में नारायणमूर्ति ने कहा था कि भारत में प्रोडक्टिविटी कम है और यह चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा था कि यदि हमें चीन जैसे देश को टक्कर देनी है तो मेहनत बढ़ानी होगी। हर युवा को दिन में कम से कम 14 घंटे तक काम करना होगा। वह कहते हैं कि गरीबी से निकलने का यही एक रास्ता है कि देश के युवा खूब मेहनत करें। हमारी प्रोडक्टिविटी कम है, जिसे बढ़ाने की जरूरत है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि सप्ताह में कम से कम 70 घंटे काम करें। नारायणमूर्ति के इस बयान को लेकर बहस छिड़ गई थी।

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