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मुलायम सिंह यादव का हर दौर में कायम रहा जलवा, हमेशा रहे समर्थकों के 'नेताजी'; चरखा दांव रहा मशहूर

मुलायम सिंह यादव सियासत में भी अपने चरखा दांव के लिए मशहूर थे। तीन बार यूपी के सीएम रहे मुलायम सिंह यादव के सियासी जीवन में उतार-चढ़ाव जरूर आए, लेकिन वह अपने समर्थकों के लिए हमेशा 'नेताजी' बने रहे। 

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊMon, 10 Oct 2022 11:03 AM
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मुलायम सिंह यादव का हर दौर में कायम रहा जलवा, हमेशा रहे समर्थकों के 'नेताजी'; चरखा दांव रहा मशहूर

Mulayam Singh Yadav Story: समाजवादी पार्टी के संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव के निधन के साथ ही उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति में एक युग का अवसान हो गया है। राम मनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण से लेकर चौधरी चरण सिंह तक के साथ काम करने वाले मुलायम सिंह यादव ने यूपी की सियासी जमीन को समाजवाद के लिए उर्वर बनाया था। जवानी के दिनों में अखाड़े में पहलवानी करने वाले मुलायम सिंह यादव सियासत में भी अपने चरखा दांव के लिए मशहूर थे। तीन बार यूपी के सीएम रहे मुलायम सिंह यादव के सियासी जीवन में उतार-चढ़ाव जरूर आए, लेकिन वह अपने समर्थकों के लिए हमेशा 'नेताजी' बने रहे। 

अपने नाम के ही अनुरूप मुलायम सिंह यादव हमेशा अपने समर्थकों और विरोधियों के प्रति भी मुलायम बने रहे। यही वजह है कि कट्टर प्रतिद्वंद्वी कहे जाने वाली भाजपा हो या फिर बीएसपी, सभी से मुलायम सिंह यादव के अच्छे रिश्ते बने रहे। खासतौर पर पीएम नरेंद्र मोदी से उनकी अच्छी बॉन्डिंग थी। 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले संसद के आखिरी सत्र में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को आशीर्वाद दिया था कि वह एक बार फिर से पीएम बनेंगे। 22 नवंबर, 1939 को सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव करीब 5 दशकों तक यूपी के शीर्ष नेताओं में से एक बने रहे। 

पीएम के भी बने थे दावेदार, तीन बार बने यूपी के सीएम

मुलायम सिंह यादव 10 बार विधायक चुने गए और 7 बार सांसद भी रहे। वह 1996 से 1998 के दौरान देश के रक्षा मंत्री रहे थे और तीन बार यूपी के सीएम भी बने। मुलायम सिंह यादव ने 1989–91, 1993–95 और 2003–07 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया था। यही नहीं एक दौर में तो वह प्रधानमंत्री पद के दावेदार भी बने थे। दशकों तक वह राष्ट्रीय नेता रहे, लेकिन उनकी सियासत का मुख्य उखाड़ा उत्तर प्रदेश ही था। किशोरावस्था से ही राम मनोहर लोहिया से प्रभावित थे। भले ही 2017 में वह सपा में बैकसीट पर गए और अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन मुलायम सिंह यादव ही सपा कार्यकर्ताओं के लिए नेताजी बने रहे। 

हमेशा खुले रहे सियासी विकल्प, 1992 में बनाई थी सपा

मुलायम सिंह यादव को राजनीति में हमेशा संभावनाएं बनाए रखने के लिए जाना जता था। कई दलों के विलय और विघटन से उपजे मुलायम सिंह यादव को चौधरी चरण सिंह के साथ भी काम करने का अनुभव था। धरती पुत्र कहलाने वाले मुलायम सिंह यादव की किसानों, मजदूरों और पिछड़ों में अच्छी पैठ थी। छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत करने वाले मुलायम सिंह यादव 1967 में विधायक बने थे। शुरुआती दौर में लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में रहे और फिर चौधरी चरण सिंह की भारतीय क्रांति दल के साथ भी ह रहे। यही नहीं इसके बाद भारतीय लोकदल में रहे और फिर समाजवादी जनता पार्टी का हिस्सा रहे। अंत में 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी का गठन किया। 

नेताजी को राजनीति में अजातशत्रु के तौर पर जाना जाता था। इसकी बानगी 2019 में तब देखने को मिली, जब उन्होंने सदन में खुलेआम कहा कि नरेंद्र मोदी दोबारा पीएम के तौर पर वापस लौटेंगे। उन्होंने यह टिप्पणी तब की थी, जब यूपी में सपा और भाजपा के बीच ही मुख्य मुकाबला था। एचडी देवेगोड़ा सरकार में रक्षा मंत्री रहे मुलायम सिंह यादव के ही दौर में सुखोई फाइटर जेट के लिए रूस से डील फाइनल हुई थी। यही नहीं सीमा पर चीन और पाकिस्तान को जवाब देने में उनका रुख आक्रामक था।

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