उद्धव ठाकरे के लिए मुश्किल हो जाएगा 2024 का रण, भाजपा ने तैयार कर ली पूरी भूमिका!
महाराष्ट्र में सरकार बदलने के बाद अब उद्धव ठाकरे के सामने पार्टी और पार्टी का निशान बचाने की चुनौती है। वहीं भाजपा 2024 को लेकर अपनी भूमिका मजबूत करने में लगी है।
महाराष्ट्र में सियासी उथल-पुथल के बाद भाजपा ने 2024 के आम चुनाव में उद्धव ठाकरे के सियासी वजूद को ढहाने की पूरी भूमिका तैयार कर ली है। उधर उद्धव ठाकरे सत्ता गंवाने के बाद किसी तरह पार्टी बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। पार्टी पर उनकी पकड़ किस कदर कमजोर हो रही है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके सांसद एनडीए उम्मीदवार को समर्थन पर अड़े हुए हैं। बता दें कि शिवसेना के 40 विधायकों के भाजपा से हाथ मिलाने के बाद दावे किए जा रहे हैं कि जल्द ही सांसद से लेकर स्थानीय स्तर के नेता तक शिंदे गुट के साथ आ जाएंगे। वहीं पार्टी सिंबल को लेकर उद्धव गुट का चुनाव आयोग तक पहुंचना दिखाता है कि यह उनके लिए अस्तित्व की लड़ाई बन चुका है।
सांसद भी बदलेंगे पाला?
विधायकों की बगावत के बाद चर्चा है कि कई सांसद भी पाला बदलने वाले हैं। उद्धव ठाकरे ने मातोश्री में सांसदों की बैठक बुलाई थी, जिसमें केवल 12 सांसद पहुंचे और 7 बैठक में अनुपस्थित रहे। वहीं कुछ सांसदों ने उद्धव ठाकरे को शिंदे से सुलह करने की भी सलाह दी। जो सांसद भाजपा के साथ जा सकते हैं उनमें एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकंत शिंदे और भावना गवली जैसे नाम हैं।
वहीं शिवसेना के सांसद इस बात पर अड़े हैं कि उद्धव ठाकरे एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करने का फैसला लें। दूसरी तरफ अघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस व एनसीपी के साथ होने की वजह से उद्धव ठाकरे पर यशवंत सिन्हा का समर्थन करने का दबाव है। इस ऊहापोह में भी सांसदों के टूटने की आशंका है। अगर सांसद भी उद्धव का साथ छोड़ देते हैं तो जाहिर सी बात है कि उनके लिए 2024 का भी रण मुश्किल हो जाएगा।
मराठा वोट पर पकड़ बनाने का दांव
महाराष्ट्र में कुल 84 रिजर्व लोकसभा सीटें हैं। वहीं महाराष्ट्र में 33 प्रतिशत मराठा कम्युनिटी है। ये दोनों ही वोट भाजपा के लिए अहम हैं। ऐसे में महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने 2024 की तैयारी कर ली है। जाहिर सी बात है कि इसका असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा। शिंदे को सीएम बनाकर भाजपा ने एनसीपी के शरद पवार की भी काट निकाली है, जो महाराष्ट्र की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं।
स्थानीय स्तर पर भी मजबूत होगी भाजपा?
एकनाथ शिंदे ने दावा किया था कि बहुत सारे शिवसेना के पार्षदों और स्थानीय निकाय, ग्राम पंचायतों के नेताओं में भी असंतोष हैं और वे उद्धव का साथ छोड़ना चाहते हैं। अगर ऐसा होता है तो उद्धव ठाकरे की पकड़ जमीनी स्तर पर भी खत्म हो जाएगी। वहीं भाजपा की पकड़ निचले स्तर पर भी मजबूत हो जाएगी, जिसका फायदा उसे 2024 में मिल सकता है।
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