Hindi Newsदेश न्यूज़karanataka government says we will not step back on local reservation in private sector - India Hindi News

आज नहीं तो कल, लोकल आरक्षण देकर रहेंगे; प्राइवेट नौकरियों में कोटा पर अड़ी कर्नाटक सरकार

सिद्धारमैया सरकार के मंत्री प्रियांक खरगे ने गुरुवार को हिन्दुस्तान टाइम्स ऑनलाइन से बातचीत में कहा कि अभी हो या फिर कुछ वक्त लगे, लेकिन यह स्थानीय आरक्षण हमारी सरकार लागू तो करके रहेगी।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, बेंगलुरुThu, 18 July 2024 12:58 PM
share Share

कर्नाटक में निजी सेक्टर की नौकरियों में स्थानीय लोगों को आरक्षण वाले बिल को फिर राज्य सरकार ने रोक दिया है। इस मामले पर खूब विवाद हुआ था और इंडस्ट्री के दिग्गजों ने पलायन तक की चेतावनी दी थी। इसके बाद सरकार ने कदम पीछे तो खींच लिए हैं, लेकिन अब भी अपने रवैये पर अडिग है। सिद्धारमैया सरकार के मंत्री प्रियांक खरगे ने गुरुवार को हिन्दुस्तान टाइम्स ऑनलाइन से बातचीत में कहा कि अभी हो या फिर कुछ वक्त लगे, लेकिन यह आरक्षण तो लागू किया जाएगा। प्रियांक खरगे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे हैं और कर्नाटक सरकार में आईटी मंत्री हैं।

प्रियांक ने कहा, 'फिलहाल इंडस्ट्री के बीच थोड़ा भ्रम की स्थिति है। इसलिए प्रस्ताव को फिलहाल रोका है। हम उद्योग जगत के लोगों से बात करेंगे। उसके बाद फैसला लिया जाएगा। राज्य को लोगों का स्थानीय नौकरियों पर पहला अधिकार है।' उन्होंने कहा कि निजी नौकरियों में आरक्षण के बिल पर सभी मंत्रालयों से बात की जाएगी। फिर उनकी राय को भी इसमें शामिल किया जाएगा। खरगे ने कहा, 'कानून के अनुसार ही सब कुछ होगा। अन्यथा इसे चुनौती मिलेगी। हरियाणा का ही देख लीजिए। उन लोगों ने भी कानून बनाया था। लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। हम ऐसा कुछ नहीं चाहते।' 

बता दें कि हरियाणा सरकार ऐसा ही प्रस्ताव लाई थी, जिसमें कहा गया था कि 30 हजार रुपये तक की नौकरियों में आरक्षण लागू होगा। ऐसी 75 फीसदी नौकरियां स्थानीय युवाओं को ही दी जाएंगी। इस बिल को राज्यपाल से भी मंजूरी मिल गई थी, लेकिन फिर इसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। बिल को फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और अन्य संगठनों ने चुनौती दी थी। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दलील दी गई थी कि यह रोजगार में समानता के अधिकार को छीनता है, जो संविधान में दिया गया है। 

इसके अलावा इससे स्किल आधारित नौकरियों में दिक्कत आएगी और अकुशल लोगों को भी रखना पड़ेगा। याचियों का कहना था कि अहम पदों पर पूरे देश से अप्लाई करने की छूट होनी चाहिए। अदालत ने इस मामले में विचार करने पर इसे खारिज कर दिया था और कहा था कि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। अदालत ने कहा कि कोई भी राज्य नौकरियों में यह देखकर भेदभाव नहीं कर सकता है कि वह किसी खास राज्य का नहीं है अथवा है। ऐसा करना पूरी तरह से असंवैधानिक है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें