इन लोगों में सबसे तेज फैल रहा कोरोना का JN.1 वैरिएंट, मास्क पहनने की सलाह; क्या बोल रहे वैज्ञानिक
विशेषज्ञों ने कहा कि वे इसे नई लहर कहने से पहले कुछ और दिनों तक इंतजार करेंगे और घबराने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी है कि डब्ल्यूएचओ द्वारा घोषित यह वैरिएंट लिस्ट में आखिरी नहीं हो सकता।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने लगभग 7 महीने पहले कोविड-19 को लेकर 'सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकालीन' की अधिसूचना वापस ले ली थी। इसके बाद लगा कि कोरोना का अंत हो गया है। लेकिन अब 7 महीने बाद, वायरस ने जाने से इनकार कर दिया है। ओमिक्रॉन वैरिएंट कई नए सबवैरिएंट में बदल गया है। इसके ताजा रूप को दुनिया जेएन.1 (JN.1) के नाम से जान रही है। JN.1 के चलते कोविड मामलों में वृद्धि हुई है। हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि वे इसे नई लहर कहने से पहले कुछ और दिनों तक इंतजार करेंगे और घबराने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी है कि डब्ल्यूएचओ द्वारा घोषित यह वैरिएंट लिस्ट में आखिरी नहीं हो सकता है।
अभी और भी वैरिएंट सामने आ सकते हैं। भारत में कोविड 19 मामले एक बार फिर बढ़ने लगे हैं। इसके पीछे जिम्मेदार माने जा रहे JN.1 "पिरोला" वैरिएंट BA 2.86 का वंशज है, जो अपने आप में एक ओमिक्रॉन सबवैरिएंट है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने JN.1 को 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के रूप में वर्गीकृत किया है। ।
JN.1 वैरिएंट किन लोगों में तेजी से फैल रहा है?
आईएमए कोविड टास्क फोर्स के डॉ. राजीव जयदेवन ने गुरुवार को कहा कि नया स्ट्रेन वृद्ध लोगों और कई अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। उन्होंने कहा, "JN.1 एक तेजी से फैलने वाला वैरिएंट है। यह आबादी के उन लोगों को परेशान कर सकता है जो कि कमजोर आयु वर्ग, वृद्ध लोग और जिन्हें पहले से कई बीमारियां हैं। ऐसे व्यक्तियों को इसके परिणामस्वरूप अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है और उसके बाद जटिलताएं बढ़ सकती हैं।" उन्होंने कहा कि नवंबर से कोविड-19 मामलों की संख्या में वृद्धि देखी गई है।
डॉ जयदेवन ने कहा कि, कोविड-19 से पीड़ित अन्य लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है। उन्होंने कहा, "सौभाग्य से, इनमें से अधिकांश लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अधिकांश कोविड मामले अब उन लोगों में हो रहे हैं जो यात्रा कर रहे हैं और जो काम पर जाने के लिए पर्याप्त रूप से स्वस्थ हैं।"
उन्होंने बताया, "बहुत से लोग कोविड को आम सर्दी समझ लेते हैं। यह बहुत अलग है, कोविड-19 हमारी रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, खासकर अगर यह बार-बार आता है। इसलिए हमें बार-बार सामान्य सर्दी हो सकती है।" स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने यह भी कहा कि कोविड-19 संक्रमण होने से बेहतर है कि सावधानी बरती जाए। उन्होंने कहा, "कोविड-19 से बचना ही सबसे अच्छा उपाय है, भले ही शुरुआती लक्षण हल्के हों।"
सभी का टेस्ट जरूरी नहीं, मास्क पहनें
वहीं डब्ल्यूएचओ की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि मौसमी फ्लू जैसे इन्फ्लूएंजा ए (एच1एन1 और एच3एन2), एडेनोवायरस, राइनोवायरस और रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस के कारण होने वाले श्वसन संक्रमण, मानसून से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकते हैं, जो कोविड-19 लक्षणों की कॉपी हैं। उन्होंने कहा कि “ऐसे लक्षणों वाले हर किसी व्यक्ति का परीक्षण करना संभव नहीं है। हमें गंभीर श्वसन संक्रमण या निमोनिया से पीड़ित अस्पताल में भर्ती लोगों का परीक्षण करना चाहिए।”
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सार्वजनिक स्वास्थ्य के पूर्व निदेशक डॉ. के. कोलांडाइसामी ने कहा, “शादी हॉल, ट्रेनों और बसों जैसी बंद भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना एक अच्छा आइडिया है। यह कोविड सहित कई वायु-जनित बीमारियों को रोक सकता है। लेकिन अभी तक मास्क को अनिवार्य करने की कोई आवश्यकता नहीं है। बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और प्रतिरक्षा की कमी वाले लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। यदि वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें मास्क अवश्य पहनना चाहिए। श्वसन संक्रमण, सर्दी और खांसी वाले लोगों को भी भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना चाहिए।”
हवाई अड्डों पर कोविड परीक्षण अनिवार्य करने की फिलहाल कोई योजना नहीं : सूत्र
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बृहस्पतिवार को कहा कि हवाई अड्डों पर यात्रियों के लिए कोविड-19 का आरटी-पीसीआर परीक्षण अनिवार्य करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। सूत्रों ने कहा कि भले ही संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़ रही है और देश में जेएन.1 उप-स्वरूप का पता चला है, लेकिन तत्काल चिंता का कोई कारण नहीं है क्योंकि संक्रमित लोगों में से 92 प्रतिशत लोग घर पर उपचार से ही ठीक हो रहे हैं, जो हल्की बीमारी का संकेत है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में भर्ती होने की दर में भी कोई वृद्धि नहीं हुई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में बृहस्पतिवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 594 नए मामले दर्ज किए गए जिससे उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 2,669 हो गई, जो इससे एक दिन पहले 2,331 थी। देश में पिछले दो सप्ताह में कोविड-19 के 22 मरीजों की मौत हुई है। बुधवार तक देश भर में कोविड-19 के उप स्वरूप जेएन.1 के 21 मामले पाए गए हैं। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी.के. पॉल ने बुधवार को बताया था कि भारत में वैज्ञानिक नए स्वरूप की बारीकी से जांच कर रहे हैं। उन्होंने राज्यों को परीक्षण बढ़ाने और अपने निगरानी तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। एक सूत्र ने कहा, ‘‘हवाई अड्डों पर यात्रियों के लिए कोविड-19 का आरटी-पीसीआर परीक्षण अनिवार्य करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है।’’