पढ़े-लिखे लोग ज्यादा काम को दुर्भाग्य मानते हैं; 70 घंटे वाली सलाह पर फिर बोले नारायणमूर्ति
नारायणमूर्ति ने कहा कि पढ़े-लिखे लोग सोचते हैं कि ज्यादा काम करना दुर्भाग्य है। 77 साल के कारोबारी ने कहा कि भारत में ज्यादा काम करना सामान्य बात है। किसान और मजदूर तो बहुत अधित श्रम करते ही हैं।
युवाओं से सप्ताह में 70 घंटे काम करने की अपील करके एक नई बहस को जन्म देने वाले इन्फोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति ने इस पर भी बात की है। उन्होंने अब एक इंटरव्यू में कहा है कि देश में पढ़े-लिखे लोग सोचते हैं कि ज्यादा काम करना दुर्भाग्य की बात है। 77 साल के कारोबारी ने कहा कि भारत में ज्यादा काम करना सामान्य बात है। देश के किसान और मजदूर तो बहुत अधित श्रम करते ही हैं। उन्होंने कहा कि देश में यह सामान्य बात है और ज्यादातर लोग ऐसे ही हैं, जो शारीरिक श्रम से पैसे कमाते हैं।
उन्होंने सीएनबीटी टीवी 18 से बातचीत में कहा, 'इसलिए हम में से जिन लोगों को बड़े डिस्काउंट पर एजुकेशन मिली है, उन्हें सरकार को धन्यवाद देना चाहिए। यह सोचना चाहिए कि कैसे देश हम भाग्यशाली हैं, जो बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी रही है।' उन्होंने कहा कि मैंने तो जब सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाह दी तो सोशल मीडिया पर काफी विरोध हुआ। ऐसे बहुत लोग थे, जिन्होंने मुझे गलत कहा। हालांकि कुछ अच्छे लोगों ने मेरी सराहना भी की। खासतौर पर विदेशों में रह रहे भारतीयों ने कहा कि मेरी बात ठीक थी।
नारायणमूर्ति ने कहा, 'यदि कोई व्यक्ति अपने सेक्टर में मुझसे बेहतर है तो मैं उसका सम्मान करता हूं। मैं उनसे पूछूंगा कि क्या मैंने जो बात कही है, वह गलत है। मुझे तो नहीं लगता। मेरे बहुत से दोस्त जो पश्चिमी देशों में रहते हैं और उनमें से बड़ी संख्या में एनआरआई हैं, उन्होंने कहा है कि आपकी बात सही है और हम इससे खुश हैं।' उनकी पत्नी सुधा मूर्ति ने तो कहा था कि नारायणमूर्ति ने भले ही 70 घंटे काम करने की सलाह दी है, लेकिन वह खुद को सप्ताह में 90 घंटे तक काम करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह नारायणमूर्ति के लिए सामान्य बात रही है।
मूर्ति बोले- मैं ऐसी कोई सलाह नहीं देता, जिस पर खुद काम न करूं
इन्फोसिस के फाउंडर ने कहा कि मैं ऐसी कोई सलाह नहीं देना चाहता, जिस पर मैंने खुद काम न किया हो। उन्होंने कहा कि मेरा यह रूटीन था कि सप्ताह में 85 से 90 घंटे तक काम किया जाए। मूर्ति ने कहा, 'मैं 6 या साढ़े 6 दिन काम करता ही था। यहां तक कि इलेक्ट्रॉनिक्स एरिया में भी ऐसा करता था। मैं हर दिन सुबह 6 बजे घर से निकल जाता था। सुबह 6:20 पर दफ्तर में होता था। इसके बाद शाम को 8:30 तक ही निकलना होता था।' उन्होंने बीते साल अक्टूबर में देश के युवाओं से अपील की थी कि यदि हमें चीन जैसे देश से आगे निकलना है तो हर दिन 70 घंटे तक काम करने की आदत रखनी होगी।