सेना में अब इन हजारों पदों को हटाने की तैयारी, ठेके पर ली जा सकती हैं सेवाएं: रिपोर्ट
भारतीय सेना में भर्ती प्रक्रिया को लेकर नया प्रस्ताव लाने पर विचार चल रहा है। इसके तहत ट्रेड्समैन के पदों को आउटसोर्स किया जा सकता है यानी इन पदों के लिए जवान के तौर पर नियमित भर्ती नहीं होगी।
भारतीय सेना ने बीते साल अग्निपथ स्कीम लागू की थी, जिसके जरिए 4 साल के लिए अग्निवीरों की भर्ती की जा रही है। इसे लेकर काफी विवाद हुआ था और बिहार, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, यूपी समेत देश के कई राज्यों में छात्र सड़कों पर उतर आए थे। इस बीच अब भारतीय सेना में भर्ती प्रक्रिया को लेकर नया प्रस्ताव आ सकता है। इसके तहत ट्रेड्समैन के पदों को आउटसोर्स किया जा सकता है यानी इन पदों के लिए जवान के तौर पर नियमित भर्ती नहीं होगी। इन पदों को आउटसोर्स किया जाएगा और टेंडर निकालकर सेवाएं ली जाएंगी। इससे भारतीय सेना में 80 हजार नियमित पदों की कमी हो जाएगी।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक सेना का सैलरी और पेंशन का बिल लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में उसे सीमित रखने के लिए ऐसे प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है ताकि सेना के आधुनिकीकरण पर खर्च के लिए बड़ी रकम बच सके। सेना के एक अधिकारी के मुताबिक कोरोना काल में दो सालों तक भर्ती नहीं हुई। इसके चलते सेना में 1.20 लाख जवान कम हो गए। इसके अलावा बीते साल पहले बैच में 40000 अग्निवीरों की ही भर्ती की गई है। इस तरह से बजट में कटौती के प्रयास किए जा रहे हैं।
ट्रेड्समैन के हैं 80,000 पद, कटौती होने पर घटेगी संख्या
सैन्य सूत्रों के मुताबिक साल 2032 तक सेना में आधे सैनिक अग्निवीर हो जाएंगे। इससे सैनिकों की औसत उम्र 32 से घटकर 24 से 26 साल ही रह जाएगी। सैन्य सूत्रों का कहना है कि इससे दो फायदे होंगे। सैनिकों की औसत उम्र कम होगी और तकनीकी की अच्छी समझ रखने वाले युवा सेना को मिल पाएंगे। एक सैन्य अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, 'सेना में कुक, बार्बर, वॉशरमैन और सफाईवाला जैसे पदों पर मैनपावर घटाने का स्कोप है। इनकी संख्या सेना में 80,000 के करीब है।'
राष्ट्रीय राइफल्स के पुनर्गठन पर भी चल रहा विचार
खबर के मुताबिक बजट को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय राइफल्स के भी पुनर्गठन पर विचार चल रहा है। इसे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से निटने के लिए स्थापितच किया गया था। शुरुआती दिनों में यह एक छोटी सी फोर्स थी, लेकिन अब इसकी 63 बटालियन हैं। सूत्रों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में अब आतंकवाद कम हुआ है। ऐसे में इस फोर्स का भी पुनर्गठन हो सकता है। एक अधिकारी ने कहा कि हम इस बात का परीक्षण कर रहे हैं कि क्या राष्ट्रीय राइफल्स में जवानों की संख्या कम की जा सकती है।