Notification Icon
Hindi Newsदेश न्यूज़how vasundhara raje gets hope with two opponents lost in rajasthan elections - India Hindi News

भविष्य पर कयासों के बीच वसुंधरा के लिए जगी उम्मीद, मिला 35 का दम और दो विरोधी पस्त

विधानसभा में नेता विपक्ष राजेंद्र राठौड़ और उप नेता सतीश पूनिया को हार मिली है। दोनों ही नेताओं का नाम सीएम पद की रेस में लिया जाता रहा है। इस तरह वसुंधरा राजे का अपना खेमा मजबूत हुआ है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 4 Dec 2023 08:37 AM
share Share

राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने अपनी परंपरागत सीट झालावाड़ में 53 हजार वोटों से जीत हासिल की है। फिर भी उनके भविष्य को लेकर कयास लग रहे हैं कि वह मुख्यमंत्री बनेंगी या नहीं। इसकी वजह यह है कि भाजपा ने इस बार उन्हें सीएम फेस घोषित किए बिना ही चुनाव लड़ा था। इसके बाद भी भाजपा ने 115 सीटों पर बड़ी जीत दर्ज की है। ऐसे में यह सवाल और तेजी से उठने लगा है कि वसुंधरा का क्या होगा? इस बीच एक चीज उनके लिए उम्मीद बंधाने वाली है। दरअसल वसुंधरा राजे के 35 समर्थक विधायकों को जीत हासिल हुई है। इतनी बड़ी तादाद में समर्थक विधायकों का जीतना उन्हें सीएम की रेस में बने रहने के लिए मदद कर सकता है। 

इसके अलावा पार्टी के अंदर ही उनके दो प्रतिद्वंद्वी भी चुनाव हार गए हैं। भले ही पार्टी के तौर पर यह झटका है, लेकिन इससे वसुंधरा राजे की निजी महत्वाकांक्षाओं के द्वार जरूर खुलते हैं। विधानसभा में नेता विपक्ष राजेंद्र राठौड़ और उप नेता सतीश पूनिया को हार मिली है। दोनों ही नेताओं का नाम सीएम पद की रेस में लिया जाता रहा है। इस तरह वसुंधरा राजे का अपना खेमा मजबूत हुआ है तो दूसरी तरफ दो दावेदार कम हो गए हैं। राजस्थान में चुनाव की शुरुआत में वसुंधरा राजे साइडलाइन नजर आ रही थीं, लेकिन बाद में उन्होंने जमकर प्रचार किया।

वह पीएम नरेंद्र मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह समेत सभी बड़े नेताओं की रैलियों में मौजूद रहीं। इस तरह उन्होंने राजनाथ के रण में मजबूती से वापसी की थी और अब फिर से सीएम बनकर यदि चौंका दें तो कोई हैरानी नहीं होगी। वसुंधरा राजे 2002 के बाद से ही राजस्थान में भाजपा की एकछत्र नेता थीं। लेकिन 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी के आने के बाद उनकी स्थिति पहले जैसी नहीं रही। हालांकि वह ओम माथुर और गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी के बाद भी अपना प्रभाव जमाए रख सकी हैं। 

कैसे भैरो सिंह शेखावत की सिफारिश पर बनी थीं उपाध्यक्ष

वसुंधरा राजे अब 70 साल की हैं और करीब 4 दशक से भाजपा में हैं। उन्हें 1984 में भाजपा में एंट्री मिली थी। इसके बाद 1985 में ही वह धोलपुर सीट से जीत गई थीं और फिर भैरो सिंह शेखावत की सिफारिश पर वह भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनी थीं। तब से ही उनका कद तेजी से बढ़ता रहा और फिर वह राजस्थान की दो बार सीएम भी बनीं, लेकिन अब उनके लिए अपनी सियासी पारी को आगे बढ़ाना थोड़ा मुश्किल है। यह देखने वाली बात होगी कि कठिन दौर में वसुंधरा कमबैक करती हैं या फिर राजस्थान को कोई नया सीएम मिलता है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें