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7वीं बार गुजरात और पाटीदारों को फिर अपना बना गई BJP, आंकड़ों में समझें खेल

Gujarat Election: दक्षिण गुजरात और सौराष्ट्र की अधिकांश सीटों पर जीत-हार पाटीदार तय करते हैं। इनमें भी दो उपजातियां लेउवा पटेल और कड़वा पटेल हैं। एक ओर जहां गुजरात में लेउवा पटेल 70 फीसदी हैं।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तान, गांधीनगरFri, 9 Dec 2022 11:00 AM
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गुजरात की राजनीति में पाटीदारों की बड़ी भूमिका है। जिस तरह साल 2017 के चुनाव के नतीजों में इस समुदाय का असर रहा। उसी तरह 2022 की भारतीय जनता पार्टी की जीत में पाटीदारों का बड़ा योगदान माना जा रहा है। गुरुवार को सामने आए आंकड़े इस बात के सबूत दे रहे हैं। कहा जाता है कि गुजरात की 182 सीटों में से 100 पर पाटीदार मतदाताओं का असर है। वहीं, 14 सीटें ऐसी हैं, जहां इनकी संख्या 30 प्रतिशत है।

पहले असर समझें
दक्षिण गुजरात और सौराष्ट्र की अधिकांश सीटों पर जीत-हार पाटीदार तय करते हैं। इनमें भी दो उपजातियां लेउवा पटेल और कड़वा पटेल हैं। एक ओर जहां गुजरात में लेउवा पटेल 70 फीसदी हैं। वहीं, कड़वा पटेल 30 प्रतिशत हैं। सौराष्ट्र के 11 जिलों के अलावा पाटीदार मतदाताओं का असर सूरत में भी है।

अब भाजपा का यहां प्रदर्शन
2022 चुनाव में भाजपा ने सौराष्ट्र-कच्छ में 54 में से 47 सीटें हासिल की है। 2017 में यही संख्या 23 पर थी। 2017 में कांग्रेस ने कच्छ क्षेत्र को मिलाकर 30 सीटें जीती थीं, जो अब 3 पर आ गई। 2012 में यहां भाजपा ने 35 सीटें जीती थीं। बीते चुनाव में भाजपा ने कम अंतर से सौराष्ट्र में कई सीटें गंवाई थी।

भाजपा औऱ पाटीदारों का इतिहास
कहा जाता है कि भाजपा को गुजरात में पहली बार सत्ता में लाने में भाजपा ने बड़ी भूमिका निभाई थी। साल 1995 में पाटीदार नेता केशुभाई पटेल ने पार्टी का नेतृत्व किया था। नरेंद्र मोदी का उदय हुआ और केशुभाई का दरकिनार होना भाजपा से पाटीदार समुदाय का मोहभंग हुआ और 2015-16 में पाटीदार कोटा आंदोलन हुआ।

भाजपा ने कैसे संभाले पाटीदार
अब भाजपा विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री पद से हटाकर पाटीदार भूपेंद्र पटेल को पद पर लाई। बाद में पाटीदार आंदोलन के नेता रहे हार्दिक पटेल को पार्टी में शामिल कर लिया। अब जब आंदोलन को समय बीत चुका है और हार्दिक भाजपा में है, तो इसका भी भाजपा के आंकड़ों पर असर हो सकता है। 2022 चुनाव में हार्दिक ने वीरमगाम सीट करीब 52 हजार मतों से जीती।

पीएम मोदी की भी रही भूमिका
कहा जा रहा है कि पीएम मोदी के प्रयासों ने भी पाटीदार मतदाताओं को भाजपा की ओर लाने में मदद की। पहले चरण के मतदान के आखिरी दिन पीएम ने वारछा में 18 किमी का रोड शो किया। इस क्षेत्र में 60 प्रतिशत वोट पाटीदार हैं।

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