Chhattisgarh High Court unmarried daughter can claim expenses marriage parents - India Hindi News अविवाहित बेटी अपनी शादी के खर्च के लिए पेरेंट्स से कर सकती है धन की मांग: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट, India Hindi News - Hindustan
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अविवाहित बेटी अपनी शादी के खर्च के लिए पेरेंट्स से कर सकती है धन की मांग: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) के कर्मचारी भानू राम की बेटी ने दुर्ग के फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने दावा किया था कि उनकी शादी के खर्च के लिए करीब 20 लाख रुपये दिया जाना चाहिए।

Niteesh Kumar पीटीआई, रायपुरThu, 31 March 2022 03:09 PM
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अविवाहित बेटी अपनी शादी के खर्च के लिए पेरेंट्स से कर सकती है धन की मांग: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

अविवाहित बेटी माता-पिता से अपनी शादी के लिए खर्च की मांग कर सकती है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अविवाहित बेटी हिंदू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट, 1956 के तहत पेरेंट्स से शादी के खर्च का दावा कर सकती है। दुर्ग जिले की रहने वाली 35 वर्षीय महिला राजेश्वरी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर स्थित हाई कोर्ट की बेंच ने यह फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी और न्यायमूर्ति संजय एस अग्रवाल की पीठ ने 21 मार्च को यह स्वीकार की थी, जिस पर आज सुनवाई हुई।

भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) के कर्मचारी भानू राम की बेटी ने दुर्ग के फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने दावा किया था कि उनकी शादी के खर्च के लिए करीब 20 लाख रुपये दिया जाना चाहिए। फैमिली कोर्ट ने 7 जनवरी 2016 को यह कहते हुए आवेदन को खारिज कर दिया था कि अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि एक बेटी अपनी शादी की राशि का दावा कर सकती है।

फैमिली कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में दी गई चुनौती
याचिकाकर्ता राजेश्वरी का कहना था कि उनके पिता रिटायर्ड होने वाले हैं, जिसके बाद उन्हें 55 लाख रुपए मिलेंगे। ऐसे में मुझे अपने पिता से अपनी शादी के खर्च के लिए 20 रुपये मिलना चाहिए। फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए राजेश्वरी ने हाई कोर्ट का रुख किया। उनका दावा था कि कानून के अनुसार अविवाहित बेटी अपने पिता से शादी के खर्च की मांग कर सकती है, यह खर्च भरण-पोषण के दायरे में आता है।

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का यह अपनी तरह का पहला आदेश है। पीठ ने अपने फैसले को अहम माना और इसे रिपोर्टिंग (एएफआर) के लिए मंजूरी दे दी गई है। बेंच ने कहा कि इस मामले को अब सभी कानून की किताबों में जगह दी जा सकती है।

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