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अगले एक साल तक मिलता रहेगा मुफ्त राशन, 80 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ; केंद्र सरकार ने लिया बड़ा फैसला

केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा, 'सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट के तहत चावल, गेंहू और मोटा अनाज क्रमश: 3, 2 और 1 रुपए प्रति किलो की दर से देती है।'

Niteesh Kumar भाषा, नई दिल्लीFri, 23 Dec 2022 10:19 PM
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अगले एक साल तक मिलता रहेगा मुफ्त राशन, 80 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ; केंद्र सरकार ने लिया बड़ा फैसला

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत 81.35 करोड़ गरीबों को एक साल तक मुफ्त अनाज देने का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में गरीबों को मुफ्त अनाज बांटने का फैसला किया गया। इसमें यह तय किया गया कि 81.35 करोड़ गरीबों को एक साल तक खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे पड़ने वाले करीब 2 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक बोझ को केंद्र सरकार खुद उठाएगी।

खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एनएफएसए के तहत गरीबों को मुफ्त में अनाज मुहैया कराया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने 31 दिसंबर को खत्म होने जा रही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) की अवधि आगे न बढ़ाने का फैसला किया है। इस योजना के तहत सरकार की तरफ से 81.35 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त राशन दिया जाता रहा है। इस योजना के तहत दिया जाने वाला अनाज एनएफएसए के तहत मिलने वाले सब्सिडी-युक्त अनाज से अलग होता है।

हर महीने 5 किलोग्राम खाद्यान्न 2-3 रुपये प्रति किलो के भाव पर
खाद्य सुरक्षा की गारंटी देने वाले एनएफएसए कानून के तहत सरकार की तरफ से हरेक पात्र व्यक्ति को हर महीने 5 किलोग्राम खाद्यान्न 2-3 रुपये प्रति किलो के भाव पर मुहैया कराया जाता रहा है। वहीं अंत्योदय अन्न योजना में आने वाले परिवारों को हर महीने 35 किलोग्राम अनाज मिलता है। एनएफएस के तहत गरीबों को 3 रुपये प्रति किलो की दर पर चावल और 2 रुपये प्रति किलो की दर पर गेहूं मुहैया कराया जाता है।

'देश के गरीबों के लिए यह नए साल का उपहार'
सरकारी अधिकारियों ने एनएफएसए के तहत 81 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन देने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस फैसले को देश के गरीबों के लिए नए साल का उपहार बताया। उन्होंने कहा कि लाभार्थियों को अब खाद्यान्न के लिए एक भी रुपया नहीं देना होगा। इस पर आने वाले करीब 2 लाख करोड़ रुपये के समूचे बोझ को सरकार ही उठाएगी।

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