भाजपा के 80 सांसदों पर संशय, दोबारा टिकट नहीं देना चाहती पार्टी; इन पर है ज्यादा संकट
भाजपा के करीब 80 सांसद ऐसे हैं, जिन्हें पार्टी दोबारा टिकट नहीं देना चाहती। इन लोगों के प्रदर्शन पर सवाल खड़े हुए हैं और ऐंटी-इनकम्बैंसी के डर से पार्टी फिर मौका देने से हिचक रही है।
भाजपा की पहली कैंडिडेट लिस्ट आने वाली है और उसमें कुछ बड़े नामों के अलावा कठिन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित किए जा सकते हैं। चुनाव के ऐलान से पहले ही उम्मीदवार घोषित करने के पीछे भाजपा की यह रणनीति है कि कैंपेन के लिए टाइम मिल सके। इस बीच चर्चा है कि भाजपा के करीब 70 से 80 सांसद ऐसे हैं, जिनके टिकट पर संशय की स्थिति है। इन सांसदों के कामकाज की पार्टी समीक्षा कर रही है और उनके जीतने की संभावनाओं को भी टटोला जा रहा है। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की मीटिंग होने वाली है, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी भी होंगे। इस बैठक में मंथन के बाद पहली सूची जारी होने वाली है।
भाजपा की टॉप लीडरशिप ने अब तक यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, उत्तराखंड, त्रिपुरा और कुछ अन्य राज्यों के नेताओं से मीटिंग की है। इस मीटिंग में मंथन हुआ है कि किन नए उम्मीदवारों को मौका दिया जाए और कहां पर कैंडिडेट रिपीट न किए जाएं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि राज्यों से हर सीट पर तीन कैंडिडेट्स के नाम भेजे गए हैं। अब केंद्रीय चुनाव समिति में इन नामों पर मंथन होगा और उसके बाद ही ऐलान किया जाएगा। माना जा रहा है कि करीब 80 सांसद ऐसे होंगे, जिन्हें अब फिर से चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलेगा।
इन सांसदों में कई ऐसे हैं, जिनकी आयु 70 साल के पार है। इसके अलावा कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी परफॉर्मेंस कमजोर रही है। जेपी नड्डा और अमित शाह ने पिछले दिनों कई मीटिंगें की हैं। सूत्रों का कहना है कि एमपी से जिन नेताओं के नाम उम्मीदवारों की सूची में भेजे गए हैं, उनमें शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं। इसके अलावा राजस्थान से पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ का नाम है। खबर है कि जिन सांसदों को हाल ही में विधानसभा में उतारा गया था, उन्हें लोकसभा में दोबारा मौका नहीं मिलेगा। उनके स्थान पर नए चेहरों को मौका मिलेगा। कई नेता तो विधायक बनने के बाद अपने राज्यों में अब मंत्री पद भी संभाल रहे हैं।
यूपी में संतोष गंगवार, रीता बहुगुणा जोशी समेत कई नेताओं के टिकट कट सकते हैं, जिनकी आयु 70 प्लस है। इसके अलावा ऐसे भी कुछ सांसद बाहर हो सकते हैं, जो लगातार एक ही सीट से सांसद चुने जा रहे हैं। पार्टी को लगता है कि ऐसी सीटों पर ऐंटी-इनकम्बैंसी तैयार हो जाती है। ऐसे में उसकी काट के लिए चेहरा ही बदल दिया जाए। चर्चा है कि भाजपा पहली लिस्ट में कुल 160 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर सकती है।