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सबसे बड़े माइनॉरिटी स्कॉलरशिप घोटाले का भंडाफोड़, 53% लाभार्थी 'फर्जी'; CBI करेगी जांच

34 राज्यों के 100 जिलों में पूछताछ की गई। जांच किए गए 1572 संस्थानों में से 830 को धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल पाया गया है। यहां दिलचस्प बात ये है कि ताजा आंकड़े 34 में से केवल 21 राज्यों के हैं।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 19 Aug 2023 08:13 PM
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भारत के सबसे बड़े माइनॉरिटी स्कॉलरशिप (अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति) घोटाले का भंडाफोड़ हुआ है। देश में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के लगभग 53 प्रतिशत लाभार्थी 'फर्जी' पाए गए हैं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा की गई एक आंतरिक जांच में 830 संस्थानों में गहरे भ्रष्टाचार का पता चला है। इसके जरिए पिछले 5 वर्षों में 144.83 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मामले को आगे की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पास भेज दिया है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर 10 जुलाई को इस मामले में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। जांच के दौरान 34 राज्यों के 100 जिलों में पूछताछ की गई। जांच किए गए 1572 संस्थानों में से 830 को धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल पाया गया है। यहां दिलचस्प बात ये है कि ताजा आंकड़े 34 में से केवल 21 राज्यों के हैं। यानी बचे हुए 13 राज्यों के संस्थानों की जांच अभी भी चल रही है।

फिलहाल, अधिकारियों ने इन 830 संस्थानों से जुड़े खातों को फ्रीज करने का आदेश दिया है। मंत्रालय का छात्रवृत्ति कार्यक्रम लगभग 1,80,000 संस्थानों तक फैला हुआ है, जिसमें कक्षा 1 से लेकर उच्च शिक्षा तक के छात्र शामिल हैं। यह पहल शैक्षणिक वर्ष 2007-2008 में शुरू की गई थी। कार्यक्रम के लिए फर्जी लाभार्थियों के जरिए इन संस्थानों द्वारा हर साल अल्पसंख्यक छात्रों के लिए छात्रवृत्ति का दावा किया गया था।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) इन संस्थानों के उन नोडल अधिकारियों की जांच करेगी जिन्होंने अप्रूवल रिपोर्ट दी। इसके अलावा, जिला नोडल अधिकारी भी जांच के घेरे में आएंगे जिन्होंने फर्जी मामलों का सत्यापन किया और कैसे कई राज्यों ने इस घोटाले को वर्षों तक जारी रहने दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय ने यह भी सवाल उठाया है कि बैंकों ने फर्जी आधार कार्ड और केवाईसी दस्तावेजों के साथ लाभार्थियों के लिए फर्जी खाते खोलने की अनुमति कैसे दी।

रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में जांच के दौरान सभी 62 संस्थान फर्जी या निष्क्रिय पाए गए। राजस्थान में जांच किए गए 128 संस्थानों में से 99 फर्जी या गैर-परिचालन थे। असम में चौंकाने वाली बात यह है कि 68 प्रतिशत संस्थान फर्जी पाए गए। कर्नाटक में 64 फीसदी संस्थान फर्जी पाए गए। उत्तर प्रदेश में 44 फीसदी संस्थान फर्जी पाए गए।

केरल के मलप्पुरम में, एक बैंक शाखा ने 66,000 छात्रवृत्तियां वितरित कीं, जो छात्रवृत्ति के लिए पात्र अल्पसंख्यक छात्रों की पंजीकृत संख्या से अधिक है। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में, 5,000 पंजीकृत छात्रों वाले एक कॉलेज ने 7,000 छात्रवृत्ति का दावा किया। एक अभिभावक का एक मोबाइल नंबर 22 बच्चों से जुड़ा था, सभी कथित तौर पर नौवीं कक्षा में थे। एक अन्य संस्थान में, छात्रावास की अनुपस्थिति के बावजूद, प्रत्येक छात्र ने छात्रावास छात्रवृत्ति का दावा किया गया। असम में, एक बैंक शाखा में कथित तौर पर 66,000 लाभार्थी थे। एक मदरसे में सत्यापन टीम को धमकी तक दी गई जब उन्होंने छात्र विवरण सत्यापित करने का प्रयास किया। पंजाब में, अल्पसंख्यक छात्रों को स्कूल में नामांकित नहीं होने के बावजूद छात्रवृत्ति मिलती थी।

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