क्या है वह स्पेशल पावर, जिसका इस्तेमाल कर सुप्रीम कोर्ट ने दिलाया दलित छात्र को IIT में एडमिशन
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए IIT बॉम्बे के एक दलित छात्र को दाखिला देने का आदेश जारी किया है। बता दें कि छात्र उत्तर प्रदेश के एक गांव का...
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए IIT बॉम्बे के एक दलित छात्र को दाखिला देने का आदेश जारी किया है। बता दें कि छात्र उत्तर प्रदेश के एक गांव का रहने वाला है और कई कारणों की वजह से तय वक्त के अंदर अपनी फीस नहीं भर सका था। सुप्रीम कोर्ट ने IIT बॉम्बे से कहा है कि छात्र को अगले 48 घंटे के अंदर दाखिला दे दिया जाए। आइए समझते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 142 में क्या खास है।
संविधान का अनुच्छेद 142 क्या कहता है?
संविधान में सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद 142 के तौर पर एक स्पेशल पावर है, जिसके तहत न्याय के लिए कोर्ट जरूरी निर्देश दे सकता है। संविधान के अनुच्छेद 142 के मुताबिक जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि होगा। इसके तरह कोर्ट ऐसे फैसले दे सकता है जो लंबित पड़े किसी भी मामले को पूर्ण करने के लिए जरूरी हों। कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश तब तक लागू रहेंगे जब तक कि इससे संबंधित प्रावधान को लागू नहीं कर दिया जाता है।
एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सुरजीत नेहरा ने लाइव हिंदुस्तान से बातचीत में बताया कि आर्टिकल 142 के तहत कहा गया है कि किसी मामले में भले ही कोई कानून न बना हो, लेकिन पूर्ण न्याय की परिभाषणा के तहत शीर्ष अदालत अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करके कोई आदेश पारित कर सकता है। अयोध्या मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस ताकत का इस्तेमाल करते हुए मस्जिद बनाने के लिए भी अलग से जमीन के आवंटन का आदेश पारित किया था।
अयोध्या केस के साथ ही भोपाल गैस त्रासदी मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों के लिए मुआवजे के ऐलान को लेकर अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया था।