हरियाणा में अनिल विज के अलावा इन दो नेताओं को भी भाजपा से लगा झटका, पर चुप ही बैठे
हरियाणा में नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया गया है और मनोहर लाल खट्टर अब केंद्र में आने की तैयारी में हैं। इस बीच वरिष्ठ नेता अनिल विज नाराज चल रहे हैं। लेकिन उनके अलावा दो और नेताओं को झटका लगा है।
हरियाणा में इसी महीने भाजपा ने बड़ा फेरबदल करते हुए दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी से गठबंधन तोड़ लिया और फिर सीएम भी बदल दिया। पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी कहे जाने वाले मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बना दिया गया। यही नहीं उनके साथ ज्यादातर नए चेहरों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। इस पूरे घटनाक्रम पर भाजपा में चुप्पी ही देखी गई, लेकिन अनिल विज नाराज नजर आए। यहां तक नायब सैनी को विधायक दल का नेता चुने जाने की मीटिंग से वह बीच में ही उठकर चले आए। फिर वह शपथ ग्रहण समारोह में भी नहीं पहुंचे। तब कहा गया कि उनका नाम कैबिनेट मंत्री की लिस्ट में था।
इसके बाद कैबिनेट का विस्तार भी हुआ, लेकिन उन्हें इस बार कैबिनेट में भी मौका नहीं मिला। अब अनिल विज के तेवर नरम हैं और वह पीएम मोदी के मिशन 400 में जुटने की बात कर रहे हैं। भाजपा के ही सूत्र मानते हैं कि अनिल विज अकसर अपने बयानों से चर्चा में रहते थे, इसके चलते उनके पर पार्टी ने कतरे हैं। वह करीब तीन दशक से हरियाणा में भाजपा के शीर्ष नेताओं में से एक हैं। 2014 में जब भाजपा को सूबे की सत्ता मिली तो चर्चा थी कि वह सीएम बन सकते हैं, लेकिन पहली बार के विधायक मनोहर लाल खट्टर को मौका मिला। अब करीब साढ़े 9 साल बाद खट्टर हटे तो उनकी उम्मीदें परवान चढ़ीं, लेकिन इस बार नायब सिंह सैनी को मौका मिला।
कहा जा रहा है कि इसके पीछे दो वजहें हैं। पहली यह कि नायब सिंह सैनी ओबीसी समुदाय के हैं। वहीं अनिल विज उसी पंजाबी समुदाय के हैं, जिससे मनोहर खट्टर ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में पार्टी ने पंजाबी समुदाय से इतर गैर-जाट ओबीसी नेता को चुना। इससे ओबीसी समाज को एकजुट रखने में मदद मिलेगी। इसके अलावा दूसरे राज्यों तक यह संदेश जाएगा कि भाजपा ओबीसी नेताओं को अवसर दे रही है। हालांकि भाजपा के इस फेरबदल ने अनिल विज के अलावा गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत सिंह यादव और भजनलाल परिवार के कुलदीप बिश्नोई को भी झटका दिया है।
कैबिनेट विस्तार में राव इंद्रजीत सिंह और कुलदीप बिश्नोई के करीबियों को मौका नहीं मिला है। कुलदीप बिश्नोई पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे हैं और उनके पुत्र भव्य बिश्नोई विधायक हैं। उन्हें उम्मीद थी कि नई सरकार में बेटे को मंत्री पद मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह कुलदीप बिश्नोई के लिए इस वजह से भी बड़ा झटका है क्योंकि वह जब कांग्रेस में थे तो उन्हें भूपिंदर सिंह हुड्डा के मुकाबले मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर देखा जाता था। अब उनके बेटे को एक मंत्री पद तक नहीं मिल पा रहा है। वह 2022 में ही भाजपा में शामिल हुए थे।