अग्निपथ स्कीम में बदलाव पर नहीं होगा टकराव, JDU और चिराग की मांग पर भाजपा का क्या रुख
भाजपा अग्निपथ स्कीम में बदलाव पर राजी हो सकती है। पार्टी खुद इस स्कीम का सर्वे कराने की मंशा चुनाव से पहले जाहिर कर चुकी थी। ऐसे में अब गठबंधन सहयोगियों की मांग को स्वीकार करना कठिन नहीं होगा।
नरेंद्र मोदी की तीसरी बार बन रही सरकार के गठबंधन सहयोगियों ने सेना में भर्ती के लिए बनी अग्निपथ स्कीम में बदलाव की मांग की है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने कहा था कि हम इस स्कीम को खत्म करने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन कुछ बदलाव करने चाहिए। इसके अलावा लोजपा (रामविलास) के नेता चिराग पासवान का भी कहना था कि इस स्कीम में बदलाव किए जाएं। भले ही यह मांग गठबंधन के सहयोगियों ने उठाई है, लेकिन भाजपा इसे लेकर राजी हो सकती है। इसकी वजह यह है कि पार्टी खुद इस स्कीम का सर्वे कराने की मंशा चुनाव से पहले जाहिर कर चुकी थी। ऐसे में अब गठबंधन सहयोगियों की मांग को स्वीकार करना कठिन नहीं होगा।
भाजपा नेताओं ने चुनाव से पहले ही कहा था कि हम कुछ ऐसे बदलाव करना चाहते हैं, जिनके तहत जवानों को अग्निवीर की नौकरी के बाद दूसरी जगहों पर आरक्षण मिल सके। इसके अलावा उन्हें मिलने वाले वेतन और भत्तों भी थोड़ा सुधार किया जाए। एक बड़ा बदलाव यह हो सकता है कि अग्निवीर के तौर पर भर्ती जवानों में से 25 पर्सेंट को नियमित नौकरी के लिए मौका मिलता है। अब इसे बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा सेना में अग्निवीरों की हिस्सेदारी कम हो सकती है। सरकार का मत है कि इस स्कीम का सर्वे कराना चाहिए। स्कीम के हानि और लाभ को समझने के बाद ही फैसला लिया जाए।
आतंकियों से लोहा लेने के दौरान या फिर अन्य किसी ऑपरेशन में अग्निवीरों के शहीद होने पर फिलहाल मुआवजा कम मिलता है। नियमित सैनिकों के मुकाबले कम मुआवजे का विरोध होता रहा है। अब सरकार इसमें भी सुधार पर विचार कर सकती है। सरकार और सेना के सामने एक चिंता यह भी है कि नियमित भर्ती रुकने के चलते सैनिकों की संख्या कम हो रही है। गौरतलब है कि केसी त्यागी ने गुरुवार को कहा था कि हम अग्निपथ स्कीम में बदलाव चाहते हैं। इसके अलावा समान नागिरक संहिता के भी हम पक्ष में हैं, लेकिन सभी संबंधित पक्षों से इस बारे में बात होनी चाहिए। त्यागी का कहना था कि हम एक देश एक चुनाव के पक्ष में हैं।