ऑपरेशन के दौरान भी चाहिए हिजाब, मेडिकल छात्रों ने उठाई मांग; मजहब और ड्यूटी दोनों जरूरी
छात्राओं ने कॉलेज अधिकारियों को लिखे अपने पत्र में कहा है कि उनकी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, "मुस्लिम महिलाओं के लिए सभी परिस्थितियों में हिजाब पहनना अनिवार्य है।"
केरल के एक कॉलेज में सात मेडिसिन छात्राओं ने प्रिंसिपल को पत्र लिखकर ऑपरेशन थिएटर के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दिए जाने पर चिंता जताई है। छात्राओं की इस मांग से परिसर में हिजाब पर तीखी बहस फिर से शुरू हो सकती है। मामला केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के सरकारी मेडिकल कॉलेज की है।
"मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनना अनिवार्य"
छात्राओं ने कहा है कि उन्हें जल्द से जल्द लंबी आस्तीन वाली स्क्रब जैकेट और सर्जिकल हुड पहनने की अनुमति दी जाए। 2020 एमबीबीएस बैच की एक छात्र की ओर से लिखे गए पत्र में 2018, 2021 और 2022 बैच की 6 मेडिकल छात्राओं के हस्ताक्षर हैं। एमबीबीएस पाठ्यक्रम कर रही छात्राओं ने कॉलेज अधिकारियों को लिखे अपने पत्र में कहा है कि उनकी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, "मुस्लिम महिलाओं के लिए सभी परिस्थितियों में हिजाब पहनना अनिवार्य है।"
पत्र में लिखा है, ''हिजाब पहनने वाले मुसलमानों को धार्मिक कपड़े पहनने और विनम्रता बनाए रखने के साथ-साथ अस्पताल और ऑपरेशन कक्ष के नियमों का अनुपालन करने के बीच संतुलन बनाने में कठिनाई होती है।'' छात्राओं ने दुनिया के अन्य हिस्सों में स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा अपनाई जाने वाली ड्रेसेस का सुझाव दिया। उन्होंने सर्जिकल प्रक्रियाओं के लिए कपड़े बनाने वाली कंपनियों द्वारा पेश किए गए अन्य विकल्पों पर भी विचार करने का सुझाल दिया है।
बनाई गई कमेटी
पत्र में कहा गया है, "लंबी आस्तीन वाले स्क्रब जैकेट और सर्जिकल हुड उपलब्ध हैं जो हमें स्टेराइल सावधानियों के साथ-साथ हमारे हिजाब को भी पहने रखने की अनुमति देते हैं।" पत्र में प्रिंसिपल से उन्हें जल्द से जल्द इन्हें पहनने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है। प्रिंसिपल डॉ. लिनेट मॉरिस ने कहा कि छात्रों की मांग पर चर्चा के लिए एक कमेटी बनाई गई है। उन्होंने मीडिया से कहा, "छात्रों की मांग अभी स्वीकार नहीं की जा सकती। ऑपरेशन थिएटरों में अंतरराष्ट्रीय मानकों को बनाए रखा जाता है। मरीज की सुरक्षा सर्वोपरि है।"
कर्नाटक में हिजाब प्रतिबंध पर हुआ बवाल
उन्होंने कहा कि वह इस मामले पर अकेले निर्णय नहीं ले सकते। इसके लिए गठित समिति 10 दिनों के भीतर समाधान निकालेगी। छात्रों का अनुरोध पिछले साल कर्नाटक में हुए घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में आया है, जब राज्य सरकार ने (तब भाजपा सरकार) परिसर में हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस मुद्दे पर खूब बवाल हुआ। एक वर्ग का तर्क था कि शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक परंपरा का कोई स्थान नहीं है और दूसरा हिजाब पर प्रतिबंध को अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर प्रहार के रूप में देख रहा है।
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