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इजरायल ही नहीं, अब भारत की सेना भी होगी हाइब्रिड वारफेयर की खिलाड़ी, CDS अनिल चौहान ने क्या बताया

  • जनरल चौहान ने कहा, ‘हमने इस बात पर भी चर्चा की कि युद्ध किस तरह विकसित हो रहा है और हमें इसके बारे में क्या करने की आवश्यकता है, तथा मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है। इसमें हमने भविष्य के युद्ध पाठ्यक्रम जैसी चीज पर चर्चा की, जो चार दिन बाद, 23 (सितंबर) को शुरू होने जा रहा है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, भाषाFri, 20 Sep 2024 03:54 PM
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दुनिया के बड़े-बड़े संघर्ष जंग के मैदान में ही हुए हैं, लेकिन अब इनके लिए किसी मैदान-ए-जंग की जरूरत नहीं रह गई है। इसकी वजह यह है कि युद्ध की प्रकृति ही बदल गई है। इसी सप्ताह हमने देखा है कि कैसे इजरायल ने दुश्मन हिजबुल्लाह के पेजर और वॉकी-टॉकी में ही विस्फोट करा दिए। इससे करीब 34 लोगों की मौत हो गई, जबकि 3000 लोग जख्मी हुए हैं। इसे भविष्य के युद्धों का एक उदाहरण माना जा रहा है। इसके अलावा ड्रोन वारफेयर, साइबर वारफेयर आदि भी चिंता का विषय हैं। इन सभी के मिले-जुले स्वरूप को जानकार हाइब्रिड वारफेयर का नाम देते हैं। इस बीच भारतीय सेना भी हाइब्रिड वारफेयर को लेकर ऐक्टिव हो गई है।

इसके लिए सैनिकों को प्रशिक्षित करने पर भी जोर है। इसके तहत पाठ्यक्रम शुरू किया जा रहा है। इसकी जानकारी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान ने दी है। उन्होंने कहा कि भविष्य के युद्ध पर आधारित पहला पाठ्यक्रम 23 सितंबर से शुरू होगा, जिसमें विभिन्न रैंक के अधिकारी भाग लेंगे। उन्होंने गुरुवार को यहां भारत शक्ति रक्षा सम्मेलन में एक संवाद सत्र में सरकार द्वारा परिकल्पित संयुक्त थिएटर कमान की व्यापक रूपरेखा के बारे में भी बात की। उनसे सेना के तीनों अंगों के कमांडरों के हाल में हुए सम्मेलन के निष्कर्ष के बारे में पूछा गया था।

जनरल चौहान ने कहा, ‘हमने इस बात पर भी चर्चा की कि युद्ध किस तरह विकसित हो रहा है और हमें इसके बारे में क्या करने की आवश्यकता है, तथा मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है। इसमें हमने भविष्य के युद्ध पाठ्यक्रम जैसी चीज पर चर्चा की, जो चार दिन बाद, 23 (सितंबर) को शुरू होने जा रहा है। यह पहला पाठ्यक्रम है, जिसे हम तैयार कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि यह नियमित पाठ्यक्रम से थोड़ा अलग है, जहां समान रैंक के अधिकारी पाठ्यक्रम में भाग लेते हैं।

सीडीएस ने कहा, ‘इसमें रैंक की कोई बात नहीं है और आप मेजर से लेकर मेजर जनरल रैंक के अधिकारियों को इस विशेष पाठ्यक्रम में भाग लेते देखेंगे। इसलिए यह बाधाओं को तोड़ रहा है। यह कुछ नया है जो हम करने की कोशिश कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि एक मेजर जनरल संभवतः एक मेजर से कुछ सीख सकता है और एक मेजर एक मेजर जनरल से रणनीति एवं अभियानों के बारे में सीख सकता है। सीडीएस ने कहा कि यह प्रारंभिक पाठ्यक्रम है और संभवतः यह ‘भविष्य में परिपक्व होगा’। जनरल चौहान ने कहा, ‘...हम यह बताने जा रहे हैं कि हम भविष्य में कैसे लड़ेंगे और हम कैसे रोडमैप तैयार करेंगे। इस तरह यह एक अलग अवधारणा है।’

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