अंतरिक्ष से गुप्त संदेश या ब्रह्मांड का कोई राज? 8 बिलियन साल बाद मिले रेडियो सिग्नल से हलचल
इस रेडियो तरंग ने ब्रह्मांड के रहस्यों के बारे में अध्ययन करने का खास मौका दिया है। सिग्नल की इतनी ज्यादा दूरी से पता चलता है कि यह किसी अन्य आकाशगंगा में पैदा हुआ है।
खगोल विज्ञान की दुनिया में एक ऐसे रहस्य का खुलासा हुआ है, जिसने हलचल मचा दी है। वैज्ञानिक इसको लेकर हैरान हैं। यह रहस्य अंतरिक्ष से मिले एक रोडियो सिग्नल को लेकर है। असल में यह सिग्नल आठ बिलियन साल के बाद धरती पर पहुंचा है। इस रेडियो सिग्नल को एफआरबी 20220610ए के तौर पर पहचाना गया है। फास्ट रेडियो बर्स्ट (एफआरबी) वह रेडियो तरंगे हैं, जो वैज्ञानिकों के लिए कौतूहल का विषय बनी हुई हैं। इनकी उत्पत्ति एक रहस्य बनी हुई है, जिसमें न्यूट्रॉन सितारों से लेकर विदेशी खगोलीय पिंडों तक के सिद्धांत हैं। इससे ब्रह्मांड की उत्पत्ति से जुड़े रहस्यों का राज खुलने के भी आसार बन रहे हैं।
इस रेडियो तरंग ने ब्रह्मांड के रहस्यों के बारे में अध्ययन करने का खास मौका दिया है। सिग्नल की इतनी ज्यादा दूरी से पता चलता है कि यह किसी अन्य आकाशगंगा में पैदा हुआ है। इससे उन प्रक्रियाओं और हलचलों की झलक मिलती है, जिनपर अभी तक हमारी नजर नहीं पड़ी है। मैक्वॉयर यूनिवर्सिटी के खगोलविद डॉक्टर स्टुअर्ट राइडर, इस तरंग का अध्ययन करने वाली टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। इसके लिए एडवांस रिसर्च तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। वैज्ञानिकों को आशा है कि इस तरंग के माध्यम से वह ब्रह्मांड की मूल प्रक्रियाओं से जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब तलाश पाएंगे।
क्या होती हैं फार्स्ट रेडियो बर्स्ट्स
फास्ट रेडियो बर्स्ट्स या एफआरबी वह रेडियो तरंगे हैं जिनका अस्तित्व महज कुछ मिली सेकंड का होता है। सबसे पहले साल 2007 में एफआरबी का पता चला था। तब से अपने रहस्य के चलते इसने दुनिया भर के वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा है। उदाहरण के लिए हाल ही में एक एफआरबी ने सेकंड के कुछ हिस्से में इतनी एनर्जी पैदा की, जितनी हमारे सूरज ने पिछले तीस साल में पैदा की है।
यह एफआरबी कहां से उत्पन्न हुई, इसको जानने के लिए खगोलविदों ने ऑस्ट्रेलियन स्क्वॉयर किलोमीटर एरे पाथफाइंडर का इस्तेमाल किया। डॉक्टर राइडर बताते हैं कि यह पाथफाइंडर इस बारे में सटीक जानकारी देता है कि असल में तरंगें कहां से पैदा हुई हैं। जांच यहीं नहीं रुकी। यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला के बहुत बड़े टेलीस्कोप का इस्तेमाल करते हुए, टीम ने सोर्स आकाशगंगा की पहचान की, जो पहले से दर्ज किए गए किसी भी एफआरबी स्रोत की तुलना में पुरानी और दूर थी।
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