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Hindi Newsदेश न्यूज़Someone lost her life and you are laughing why Solicitor General Tushar Mehta get into fight with Kapil Sibal in SC

'किसी की जान चली गई और आप हंस रहे', भरी अदालत कपिल सिब्बल से क्यों उलझ पड़े सॉलिसिटर जनरल

अदालत ने कोलकाता पुलिस की जांच और केस रजिस्टर्ड करने में हुई देरी पर घोर नाराजगी जताई और अगली सुनवाई पर पूरा विवरण के साथ पेश होने का आदेश दिया। इससे पहले सीबीआई की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट में आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस द्वारा कोलकाता कांड में मामले को छिपाने का प्रयास किया गया था।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 22 Aug 2024 04:41 PM
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सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में हुए रेप एंड मर्डर केस पर सुनवाई चल रही थी। इस दौरान कुछ ऐसा हुआ कि दो बड़े वकील आपस में उलझ गए। दरअसल, इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पैरवी कर रहे थे, जबकि सीबीआई और केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मामले की पैरवी कर रहे थे। तुषार मेहता जब मामले में कोलकाता पुलिस की लापरवाही और मामले की डायरी में एंट्री की टाइमिंग पर सवाल उठा रहे थे, तभी कपिल सिब्बल हंस पड़े।

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सिब्बल पर बिदक गए। उन्होंने कपिल पर नाराजगी जताते हुए कहा, ‘‘एक लड़की ने सबसे अमानवीय और वीभत्स तरीके से अपनी जान गंवा दी है। किसी की मौत हुई है। कम से कम हंसिए तो मत।’’ इस पर सिब्बल ने कहा कि हर कोई मानता है कि यह घटना ‘‘दुखद और बर्बर’’ है। जिस वक्त ये वाकया हुआ, उस समय कोर्ट रूम खचाखच भरा हुआ था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ दो अन्य साथी जजों जस्टिस जेबी पादरीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा के साथ इस मामले की सुनवाई कर रहे थे।

अदालत ने कोलकाता पुलिस की जांच और केस रजिस्टर्ड करने में हुई देरी पर घोर नाराजगी जताई और अगली सुनवाई पर पूरा विवरण के साथ पेश होने का आदेश दिया। इससे पहले सीबीआई की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट में आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस द्वारा कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में हुए रेप एंड मर्डर केस में मामले को छिपाने का प्रयास किया गया था। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जब तक सीबीआई के हाथों में यह केस आया, तब तक क्राइम स्पॉट पर चीजें बदल चुकी हैं और सबूतों से छेड़छाड़ हो चुकी थी।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों के साथ-साथ पीड़िता के सहकर्मियों ने वीडियोग्राफी के लिए कहा था और इसका मतलब यह है कि उन्हें भी लगा कि इसमें कुछ छिपाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने पांचवें दिन जांच शुरू की। इससे पहले, स्थानीय पुलिस ने जो कुछ भी इकट्ठा किया था, वह हमें दे दिया गया। जांच अपने आप में एक चुनौती है, क्योंकि अपराध स्थल का परिदृश्य बदल दिया गया था। प्राथमिकी (पीड़िता के) अंतिम संस्कार के बाद रात पौने 12 बजे दर्ज की गई।’’

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मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘सबसे पहले, अस्पताल के उपाधीक्षक ने पीड़िता के माता-पिता को बताया कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है। जब वे अस्पताल पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि उसने आत्महत्या कर ली है....मृतक के सहकर्मियों ने वीडियोग्राफी के लिए जोर दिया। इससे पता चलता है कि उन्हें मामले को छुपाने का संदेह था।’’ सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जब नौ अगस्त की सुबह ताला पुलिस थाने को फोन किया गया तो चिकित्सकों ने पुलिस को बताया कि पीड़िता बेहोश है, हालांकि उसकी पहले ही मौत हो चुकी थी।

पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मेहता की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि हर चीज की वीडियोग्राफी की गई थी और अपराध स्थल पर कुछ भी नहीं बदला गया था। सिब्बल ने कहा कि कोलकाता पुलिस ने पूरी ईमानदारी से प्रक्रिया का पालन किया और सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट केवल मामले को उलझाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि सीबीआई को अदालत को बताना चाहिए कि पिछले एक सप्ताह में उसने मामले में क्या प्रगति की है।

बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नौ अगस्त को एक ट्रेनी लेडी डॉक्टर का शव मिला था। पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी को गिफ्तार किया है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले की जांच कोलकाता पुलिस से लेकर 13 अगस्त को सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। सीबीआई ने 14 अगस्त से इस मामले में अपनी जांच शुरू की है। मामले का मुख्य आरोपी संजय रॉय गिरफ्तार किया जा चुका है। कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। सीबीआई ने उससे कई दौर में मैराथन पूछताछ की है। अब घोष समेत कुल पांच डॉक्टरों की पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की मंजूरी अदालत ने दे दी है। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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