कोलकाता कांड में पूर्व प्रिंसिपल पर कसा शिकंजा, 4 डॉक्टरों समेत होगा पॉलीग्राफ टेस्ट; CBI को मिली इजाजत
पिछले सप्ताह कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर कोलकाता पुलिस से अपने हाथों में जांच लेने वाली सीबीआई ने पिछले कुछ दिनों में संदीप घोष से कई बार मैराथन पूछताछ की है लेकिन घोष हर बार बयान बदलते रहे हैं। अब पॉलीग्राफ टेस्ट से कोलकाता कांड की सच्चाई सामने आ सकती है।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के कथित रेप एंड मर्डर केस में अब पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष पर सीबीआई का शिकंजा कस गया है। सीबीआई अब घोष का लाई डिटेक्टर टेस्ट यानी झूठ बोलने की जांच कराएगी। कोलकाता की एक अदालत ने पूर्व प्रिंसिपल के अलावा चार अन्य डॉक्टरों का भी पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की मंजूरी दे दी है। सीबीआई सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है।
पिछले सप्ताह कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर कोलकाता पुलिस से अपने हाथों में जांच लेने वाली सीबीआई ने पिछले कुछ दिनों में संदीप घोष से कई बार मैराथन पूछताछ की है लेकिन घोष हर बार बयान बदलते रहे हैं। अब पॉलीग्राफ टेस्ट से कोलकाता कांड की सच्चाई सामने आ सकती है। सीबीआई को भरोसा है कि पॉलीग्राफ टेस्ट से कई अनसुलझे रहस्यों को पता चल सकता है।
पूछताछ के दौरान घोष के कथित बेमेल तर्कों और जवाबों से असंतुष्ट सीबीआई ने पॉलीग्राफ टेस्ट की इजाजत देने के लिए अदालत से अनुमति मांगी थी। पीटीआई ने एक अनाम अधिकारी के हवाले से बताया, "हम घोष के जवाबों को और सत्यापित करना चाहते हैं, क्योंकि हमारे सवालों के कुछ जवाबों में विसंगतियां हैं। इसलिए, हम उन पर पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।"
संजय रॉय का भी पॉलीग्राफ टेस्ट
घोष पर मामले में लीपापोती करने समेत कई आरोप हैं। 9 अगस्त को रेप एंड मर्डर के दो दिन बाद ही घोष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। संदीप घोष पर ये भी आरोप हैं कि उसने मृतक डॉक्टर के माता-पिता को कई घंटों तक इंतजार कराया था और उन्हें बेटी की लाश देखने नहीं दी थी। ट्रेनी डॉक्टर के साथ हैवानियत करने वाले संजय रॉय का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की इजाजत अदालत पहले ही दे चुकी है। इस तरह इस मामले में अब कुल छह लोगों का लाई डिटेक्टर टेस्ट होगा।
क्या होता है पॉलीग्राफ टेस्ट?
पॉलीग्राफ टेस्ट को लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जाता है। इस परीक्षण या टेस्ट के दौरान आरोपी शख्स से एक मशीन के सामने सवाल पूछा जाता है और उन सवालों के जवाब के दौरान उसकी शारीरिक प्रतिक्रियाओं को मापा जाता है। इस टेस्ट से आरोपी के सच या झूठ बोलेने का पता लगाया जा सकता है। कोई भी जांच एजेंसी किसी का भी पॉलीग्राफ टेस्ट नहीं कर सकती। इसके लिए उसे अदालत से मंजूरी लेनी पड़ती है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस टेस्ट के दौरान जब आरोपी झूठ बोलता है तो उसके दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। उसके सांस लेने के पैटर्न में बदलाव, पसीना बहने जैसी शारीरिक प्रतिक्रियाओं में बदलाव होने लगता है। टेस्ट के दौरान ब्लड प्रेशर, नाड़ी, खून के प्रवाह आदि को मापा जाता है। हालांकि, एक्सपर्ट ये भी मानते हैं कि पॉलीग्राफ टेस्ट हमेशा पूरी तरह से सही नहीं होता है।
बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नौ अगस्त को महिला चिकित्सक का शव मिला था। पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी को गिफ्तार किया है। आरोप है कि डॉक्टर का रेप कर उसकी वीभत्स तरीके से हत्या कर दी गई। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले की जांच कोलकाता पुलिस से सीबीआई को सौंपने का 13 अगस्त को आदेश दिया था। सीबीआई ने 14 अगस्त से अपनी जांच शुरू की है। सीबीआई ने कोर्ट में बताया कि मामले में गैंगरेप के सबूत नहीं मिले हैं।
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