Jitiya vrat 2024: जितिया व्रत से पहले पढ़ लें पूजा में किन चीजों की जरूरत होगी
जीवितपुत्रिका व्रत यानी जितिया व्रत पितृपक्ष यानी अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत एक कठिन व्रत माना जाता है। इस व्रत में क्या साम्रगी चाहिए यहां जानें
जीवितपुत्रिका व्रत यानी जितिया व्रत पितृपक्ष यानी अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत एक कठिन व्रत माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत में माताएं अपनी संतान के सुख और लंबी उम्र की कामना करती हैं और उनके लिए आशीर्वाद मांगती हैं। आपको बता दें कि यह व्रत तीन दिन तक चलता है। यह तीन दिन तक चलता है। सप्तमी पर व्रत नहाय खाय से शुरू होता है और अष्टमी पर व्रत और नवमी पर पारण होता है। इस व्रत पूजा की थाली में चावल, पेड़ा, दूर्वा की माला, पान, लौंग, इलायची, सुपारी, श्रृंगार का सामान, सिंदूर पुष्प, गांठ का धागा, कुशा से बनी जीमूत वाहन की मूर्ति, धूप, दीप, मिठाई, फल, फूल, चाहिए होते हैं। यहां हम आपको बताएंगे कि किस चीज की कहां जरूरत होगी।
इस व्रत में लाल कपड़ा, पूजा की चौकी जिसे पर भगवान की मूर्ति रखी जाएगी चाहिए। इसके अलावा मिट्टी की जरूरत होगी, -जिससें गणेश जी. कुशा या मिट्टी से जीमूतवाहन देव की मूर्ती, चील और सियारिन की प्रतिमा बनाई जाएंगी। इसके अलावा एक कलश, नारियाल, हल्दी, सुपारी,दुर्वा, इलायची , लौंग आदि इस कलश मेंं रखा जाता है। पूजा में जितिया का धागा खास तौर पर रखा जाता है। रौली, मौली और कुछ खिलौने या टॉफी भी पूजा में रखते हैं और पूजा के बाद बच्चों में बांट देते हैं। नैनुआ के पत्तों को पूजा में रखा जाता है। पान के पत्ते या अशोक के पत्ते भी ले सकते हैं। भोग में भीगे हुए काले चने चाहिए होते हैं, इन्हें आप सुबह भिगो सकते हैं। वा घर में बनी मिठाईऔर पांच फल भी पूजा में चाहिए ।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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