किसानों की मांगों को लेकर SKM ने राष्ट्रपति से मुलाकात का मांगा समय, डल्लेवाल की भूख हड़ताल जारी
- संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों की मांगों पर बात करने के लिए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से समय की मांग की है। वहीं दूसरी तरफ 26 नवंबर से भूख हड़ताल पर बैठे किसान नेता डल्लेवाल की हालत लगातार गंभीर बनी हुई है।
किसानों के जारी प्रदर्शन के बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को पत्र लिखकर किसानों की मांगों पर चर्चा के लिए समय मांगा है। गुरुवार को जारी बयान में संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से कहा गया कि हमने राष्ट्रपति से मिलने के लिए समय मांगा है। हम किसान नेता डल्लेवाल की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल और कृषि नीति के कई मुद्दों पर अपनी बात को उनके सामने रखना चाहते हैं।
मोर्चा के मुताबिक 25 दिसंबर को लिए गए अपने पत्र में उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा का एक प्रतिनिधिमंडल देश भर में किसानों के बीच बढ़ती अशांति और अनिश्चित स्थिति के बारे में अपनी चिंताओं को साझा करने के लिए आपकी सुविधानुसार जल्द से जल्द आपसे मिलने के लिए समय देने का अनुरोध करता है। इस पत्र को लेकर एसकेएम की तरफ से कहा गया कि 500 से अधिक जिलों के किसानों ने जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा था। इस ज्ञापन में लंबे समय से चली आ रही मांगो को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच में चर्चा को सुविधाजनक बनाने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था।
पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर बैठे किसान अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले कई किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन किसान संगठनों के नीचे 101 किसानों के एक जत्थे ने 6 से 14 दिसंबर के बीच में करीब तीन बार पैदल दिल्ली तक मार्च करने का प्रयास किया था लेकिन उन्हें हरियाणा में ही सुरक्षाकर्मियों ने रोक दिया था।
दूसरी तरफ किसान नेता 70 वर्षीय डल्लेवाल 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन कर रहे हैं। वह लगातार केंद्र सरकार से फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बात करने की मांग कर रहे हैं। उनकी देखभाल में लगे डॉक्टरों के मुताबिक डल्लेवाल केवल पानी पर जिंदा है। उनकी हालत बहुत की गंभीर है। किसानों का यह प्रदर्शन एमएसपी कानून के अलावा किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई इजाफा नहीं जैसी मांगे शामिल हैं।