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अस्पताल गेट पर स्क्रीनिंग, तीमारदारों की सीमित संख्या; नेशनल टास्क फोर्स के लिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिए निर्देश

SC on Kolkata Doctor Case: सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता रेप एंड मर्डर केस में नेशनल टास्क फोर्स गठित करने का फैसला किया है। इसमें देश के चुनिंदा डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स को शामिल किया गया है।

Deepak लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 20 Aug 2024 08:00 AM
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SC on Kolkata Doctor Case: सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता रेप एंड मर्डर केस में नेशनल टास्क फोर्स गठित करने का फैसला किया है। इसमें देश के चुनिंदा डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स को शामिल किया गया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स को एक ऐक्शन प्लान भी दिया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इसमें निर्देश दिया है कि ऐक्शन प्लान राष्ट्रीय स्तर का होगा। इसमें जेंडर के आधार पर होने वाली हिंसा पर लगाम लगाने का इंतजाम होना चाहिए। इसके अलावा, इंटर्न्स, रेजिडेंट और नॉन रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए गरिमापूर्ण कामकाज का माहौल तैयार करने पर भी जोर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों के एंट्री प्वॉइंट्स पर प्रॉपर स्क्रीनिंग और मरीज के साथ आने वाले अटेंडेंट्स की संख्या कम करने को भी ऐक्शन प्लान में शामिल करने की ताकीद की है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए सुझाव कुछ इस तरह से हैं...

यह दिए गए सुझाव
-अस्पतालों के इमरजेंसी रूम के एरिया में अतिरिक्त सुरक्षा बढ़ाई जाए।
-एंट्री प्वॉइंट्स पर बैगेज स्क्रीनिंग हो, ताकि असलहाधारियों को अस्पताल में प्रवेश न मिले।
-मरीज के अलावा अन्य लोगों के प्रवेश पर भी रोक लगाई जाए, ताकि अनावश्यक भीड़ न हो।
-भीड़ को मैनेज करने के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए जाएं।
-डॉक्टरों के लिए विश्राम कक्ष हो। इसके अलावा और डॉक्टरों, नर्सों के आराम के लिए कॉमन एरिया हो।
-इन जगहों पर एंट्री के लिए बायोमीट्रिक्स और फेशियल रिकॉग्निशन हो।
-अस्पताल परिसर में सभी जगह पर्याप्त लाइटिंग हो। सभी जगहों पर सीसीटीवी लगे।
-मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए रात 10 से सुबह 6 बजे तक ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा हो।
-समस्याओं और संकट से निपटने के लिए वर्कशॉप्स का आयोजन।
-संस्थानों में सुरक्षा इंतजामों का क्वॉर्टर्ली ऑडिट होना चाहिए।
-अस्पतालों में भीड़ के हिसाब से पुलिस फोर्स की तैनाती होनी चाहिए।
-मेडिकल संस्थानों में पॉश ऐक्ट लागू करवाना और आईसीसी का गठन।
-मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए इमरजेंसी में हेल्पलाइन नंबर्स की सहूलियत।

सभी मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए
चीफ जस्टिस ने कहा कि नेशनल टास्क फोर्स इन सभी प्वॉइंट्स और दूसरी चीजों को शामिल करते हुए ऐक्शन प्लान तैयार करेगा। साथ ही उपयुक्त समय-सीमा का भी सुझाव देगा जिसके आधार पर अस्पतालों में इन सुझावों को लागू किया जा सके। साथ ही कोर्ट ने कहा कि नेशनल टास्क फोर्स से अनुरोध है कि आदेश की तारीख से तीन हफ्ते में अंतरिम रिपोर्ट और अंतिम रिपोर्ट 2 महीने के अंदर पेश करें। सीजेआई ने यह भी स्पष्ट किया कि इस फैसले में इस्तेमाल किया गया ‘मेडिकल प्रोफेशनल’ उन सभी के लिए है जो इस पेशे में शामिल हैं। इसमें डॉक्टर, इंटर्नशिप कर रहे मेडिकल स्टूडेंट, रेजिडेंट, सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स, नर्सेस और नर्सिंग स्टाफ भी शामिल हैं।

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