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यूक्रेन से जंग में ही रूस ने खो दी एक चौथाई दौलत, आधे से भी कम बचा है कैश रिजर्व

  • रूस के कैश रिजर्व में कमी आई है और अब उस पर 3.8 अरब रूबल ही बचे हैं, जो बीते साल के मुकाबले करीब 24 फीसदी कम है। आंकड़ा 1 जनवरी 2023 की तुलना के आधार पर जारी किया गया है। वहीं 2022 की शुरुआत से तुलना करें तो यह आंकड़ा 57 फीसदी कम है। रूस के पास कैश रिजर्व 8.9 ट्रिलियन रूबल था, जो अब आधे से भी कम है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, मॉस्को, ब्लूमबर्गThu, 16 Jan 2025 05:02 PM
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रूस बीते करीब दो साल से यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ रहा है। इस जंग में उसने अपने हजारों सैनिक खोए हैं तो बड़ी पूंजी भी नष्ट की है। बीते साल उसने अपनी कुल संपदा के एक चौथाई हिस्से को जंग में ही झोंक दिया। उसने यह रकम युद्ध की तैयारियों और यूक्रेन पर हमले में खर्च कर दी। वित्त मंत्रालय के डेटा के अनुसार रूस का नेशनल वेलबीइंग फंड अब भी 12 ट्रिलियन रूबल यानी 117 बिलियन डॉलर है। हालांकि रूस के पास कैश रिजर्व में कमी आई है और अब उसके पास 3.8 अरब रूबल ही बचे हैं, जो बीते साल के मुकाबले करीब 24 फीसदी कम है। यह आंकड़ा 1 जनवरी 2023 की तुलना के आधार पर जारी किया गया है।

वहीं 2022 की शुरुआत से तुलना करें तो यह आंकड़ा 57 फीसदी कम है। दो साल पहले रूस के पास कैश रिजर्व 8.9 ट्रिलियन रूबल था, जो अब आधे से भी कम है। हालात यह है कि मिलिट्री पर बड़े खर्च के चलते रूस की अर्थव्यवस्था नाजुक दौर में है और जनकल्याण की योजनाओं पर जरूरी खर्च के लिए भी कैश की कमी है। रूस की मौजूदा स्थिति भी तेल और गैस के निर्यात के कारण है। वित्त मंत्रालय के अनुसार तेल और गैस का निर्यात तय लक्ष्य से ज्यादा हुआ है और उसी के चलते किसी तरह अर्थव्यवस्था को चलाने में मदद मिल रही है। अब तक 1.3 ट्रिलियन रूबल रूस ने वेलबीइंग फंड में खर्च किए हैं। इससे बजट घाटे को कम करने की कोशिश की जा रही है।

जानकारों का कहना है कि रूस की अर्थव्यवस्था पर अमेरिका और उसके साथी देशों की पाबंदियों के चलते भी बुरा असर हुआ है। खासतौर पर बड़ी परियोजनाओं की फंडिंग करने में उसे मदद मिलती है। बता दें कि रूस को लगातार अपना सैन्य बजट बढ़ाना पड़ रहा है। इसके चलते उसकी अर्थव्यवस्था पर दबाव की स्थिति है। गौरतलब है कि रूस पर पाबंदियों के कारण कई देशों की कंपनियां वहां निवेश नहीं करना चाहतीं। इसके अलावा रूस को तेल और गैस की बिक्री करने में भी परेशानी हो रही है। उसने भारत और चीन जैसे देशों को तेल बेचा है, लेकिन वह भी काफी कम दाम में बेचना पड़ा है। बैंक ऑफ रशिया का कहना है कि यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो फिर नेशनल वेल्थ फंड में बड़ी गिरावट आ सकती है।

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