संदीप घोष का खुलता काला चिट्ठा, 2017 में हांगकांग में मेल नर्स से छेड़छाड़ का लगा था आरोप
- रिपोर्ट के मुताबिक, उस समय संदीप घोष की उम्र 45 साल थी। वह हॉस्पिटल में क्लिनिकल अटैचमेंट प्रोग्राम के हिस्से के रूप में हांगकांग गए थे। तब वह मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज के हड्डी रोग विभाग के चीफ फिजिशियन थे।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का एक और काला सच सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017 में उस पर हांगकांग में मेल नर्सिंग स्टूडेंट से छेड़छाड़ का आरोप लगा था। हालांकि, मजिस्ट्रेट कोर्ट ने घोष की सफाई को स्वीकार कर लिया और उसे इस मामले से मुक्त कर दिया था। मालूम हो कि आरजी कर हॉस्पिटल में वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप में संदीप घोष को गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई ने घोष को बीते 30 सितंबर को अरेस्ट किया और अदालत से आज तक के लिए उनकी हिरासत हासिल की थी। मगर, विशेष अदालत ने मंगलवार को घोष को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में फिर भेज दिया।
द साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में हांगकांग वाले कांड को लेकर रिपोर्ट छपी है। इसके अनुसार, 2017 में हांगकांग में पुरुष नर्सिंग छात्र ने आरोप लगाया कि संदीप घोष ने चेंजिंग रूम में उसके नितंब को थपथपाया था। साथ ही, उसके गुप्तांगों को छूने की कोशिश की थी। संदीप घोष उस समय एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत हांगकांग गया था। 8 अप्रैल, 2017 को कॉव्लून में क्वीन एलिजाबेथ हॉस्पिटल में छात्र ने ऑर्थोपेडिक डॉक्टर संदीप घोष पर अभद्र हमला करने का आरोप लगाया। उसने अपनी गवाही में कहा, 'मुझे गलत तरीके से टच किया गया। इसके बाद उसने पूछा कि क्या यह मुझे पसंद आया?'
संदीप घोष ने अपनी सफाई में क्या कहा?
रिपोर्ट के मुताबिक, उस समय संदीप घोष की उम्र 45 साल थी। वह हॉस्पिटल में क्लिनिकल अटैचमेंट प्रोग्राम के हिस्से के रूप में हांगकांग गए थे। उस वक्त घोष मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज के हड्डी रोग विभाग के चीफ फिजिशियन थे। 2018 में संदीप घोष आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्रिंसिपल बने थे। हांगकांग मामले को लेकर संदीप घोष ने आरोपों से इनकार कर दिया और अदालत में खुद को निर्दोष बताया। उन्होंने कहा कि यह सब गलतफहमी की वजह से हुआ। घोष ने कहा, ‘मैं नर्स की बांह खींचकर दिखाना चाहता था कि कंधे की हड्डी खिसकने पर उसे कैसे ठीक किया जाए। इसी दौरान गलती से उसका हाथ नर्स के कूल्हे पर लग गया। वह मेरी बात को भी सही तरीके से नहीं समझ पाए।’ इस तरह की दलीलें सुनने के बाद कॉव्लून सिटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने संदीप घोष को बरी कर दिया।