कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त के खिलाफ सुनवाई से हटे HC चीफ जस्टिस, RG Kar अस्पताल से जुड़ा केस
याचिका में आरोप लगाया है कि कोलकाता के पूर्व आयुक्त गोयल ने आरजी कर अस्पताल की बलात्कार पीड़िता का नाम उजागर किया था। उनके खिलाफ ऐक्शन की मांग की गई है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने इस याचिका से खुद को अलग कर दिया है।
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कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवज्ञानम ने गुरुवार को आरजी कर अस्पताल रेप-मर्डर मामले से जुड़ी एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। याचिका में कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त विनीते गोयल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। यह याचिका गोयल द्वारा आरजी कर अस्पताल की बलात्कार पीड़िता का नाम उजागर करने को लेकर दायर की गई थी। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति चैताली चटर्जी की खंडपीठ द्वारा की जानी थी, लेकिन अब इसे किसी अन्य पीठ को सौंपा जाएगा।
दरअसल, पिछले वर्ष दायर की गई इस याचिका में आरोप लगाया गया कि विनीते गोयल ने 9 अगस्त, 2024 को कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार 31 वर्षीय स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर की पहचान सार्वजनिक कर दी थी। गोयल पर आरोप है कि उन्होंने मीडिया को जानकारी देते समय पीड़िता की पहचान उजागर की, जो बलात्कार पीड़िताओं की गोपनीयता की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। याचिका में गोयल के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की गई है।
मामला क्या है
कोलकाता पुलिस ने 10 अगस्त 2024 को आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर से रेप और मर्डर केस में संजय रॉय को गिरफ्तार किया था। पिछले महीने, एक ट्रायल कोर्ट ने संजय रॉय को मरते दम तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा, सीबीआई ने 14 सितंबर को मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष और ताला पुलिस थाने के पूर्व प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल को सबूतों के साथ छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया है।
20 सितंबर को, भारत के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने गोयल के खिलाफ जुड़ी याचिका मामले की सुनवाई एक स्वत: संज्ञान याचिका के माध्यम से अपने अधीन ले ली थी। हालांकि, जब गोयल के खिलाफ दायर PIL की सुनवाई शुरू हुई, तो हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले में क्षेत्राधिकार का मुद्दा उठाया, क्योंकि यह मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट के अधीन था। 10 दिसंबर को, सीजेआई संजीव खन्ना ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट इस PIL में हस्तक्षेप नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “विनीते गोयल से संबंधित मामला हाई कोर्ट में लंबित है और इसे अलग से सुनने का कोई कारण नहीं है।”
याचिका दायर होने के बाद, न्यायमूर्ति शिवज्ञानम ने केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) को इस मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया, क्योंकि गोयल एक सेवारत भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी थे। इसके बाद, DoPT ने एक हलफनामा दायर कर कहा कि चूंकि गोयल राज्य सरकार के अधीन कार्यरत थे, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार पश्चिम बंगाल सरकार को है।