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पहले निकाय के ही चुनाव करा लें, एक देश एक इलेक्शन फिर देख लेना; राज ठाकरे का तंज

  • महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे ने सरकार पर तंज कसा है। राज ठाकरे ने कहा है कि यदि केंद्र सरकार 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' कराने को लेकर इतनी चिंतित है तो उसे पहले महाराष्ट्र में नगर निकायों के चुनाव कराने चाहिए।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईThu, 19 Sep 2024 11:43 AM
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एक देश एक चुनाव वाली रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को मोदी सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने समिति की सिफारिशों पर मुहर लगाई। अब इसे विधेयक के तौर पर शीत सत्र में लोकसभा और राज्यसभा में पेश करने की तैयारी है। इसके अलावा समाज के अलग-अलग वर्गों से भी इस मसले पर राय ली जाएगी। इस बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे ने सरकार पर तंज कसा है। राज ठाकरे ने कहा है कि यदि केंद्र सरकार 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' कराने को लेकर इतनी चिंतित है तो उसे पहले महाराष्ट्र में नगर निकायों के चुनाव कराने चाहिए।

महाराष्ट्र में बीएमसी सहित कई नगर निकायों के चुनाव लंबित पड़े हैं। राज ठाकरे ने बुधवार को सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'अगर चुनावों को इतना महत्व दिया ही जा रहा है तो पहले नगर निकाय के चुनाव कराएं।' उन्होंने कहा कि कई नगर निकाय ऐसे हैं जो लगभग चार साल से प्रशासकों के अधीन संचालित हो रहे हैं। मनसे प्रमुख ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश को मंजूरी तो दे दी है, लेकिन उसे राज्यों के विचारों पर भी गौर करना चाहिए।

उन्होंने यह भी सवाल किया कि यदि कोई राज्य सरकार गिर जाए या विधानसभा भंग हो जाए या देश में मध्यावधि लोकसभा चुनाव हो जाएं तो इस स्थिति में क्या किया जाएगा। बता दें कि एक देश एक चुनाव के लिए संविधान में 18 संशोधनों की बात की जा रही है। खासतौर पर निकाय चुनाव भी साथ में कराने के लिए देश के आधे राज्यों की विधानसभाओं से मंजूरी लेनी होगी। वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने कैबिनेट के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि यह देश में ऐतिहासिक चुनाव सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

विभिन्न विपक्षी दलों का हालांकि कहना है कि एक साथ चुनाव कराना व्यावहारिक नहीं है। सरकार का कहना है कि कई राजनीतिक दल पहले से ही इस मुद्दे पर सहमत हैं। उसने कहा कि देश की जनता से इस मुद्दे पर मिल रहे व्यापक समर्थन के कारण वे दल भी रुख में बदलाव कर सकते हैं जो अब तक इसके खिलाफ हैं। कांग्रेस, सपा और बसपा समेत कई दलों ने भाजपा सरकार की इस कवायद का विरोध किया है।

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