UCC पर बोल रहे थे प्रधानमंत्री, गौर से सुनने लगे CJI; देखें कैसा था चंद्रचूड़ का हावभाव
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मौजूदा नागरिक संहिता को सांप्रदायिक और भेदभाव पर आधारित बताते हुए लाल किले से कहा कि अब समय की मांग है कि पूरे देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता (सेक्युलर सिविल कोड) लागू हो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले के प्राचीर से लगातार 11वीं बार देश को संबोधित किया। अपने भाषण की शुरुआत उन्होंने अपने रिपोर्ट कार्ड से की। हालांकि, बाद में उन्होंने विकसित भारत का रोडमैप तो दिया। साथ ही उन्होंने कई सियासी और लंबित मुद्दों को भी छुआ। पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान 'समान नागरिक संहिता (UCC)' और 'एक देश, एक चुनाव' जैसे मुद्दों पर जमकर बोला। प्रधानमंत्री ने पूरे देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता (सेक्युलर सिविल कोड) की वकालत की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मौजूदा नागरिक संहिता को सांप्रदायिक और भेदभाव पर आधारित बताते हुए लाल किले से कहा कि अब समय की मांग है कि पूरे देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता (सेक्युलर सिविल कोड) लागू हो।
पीएम मोदी जब इस विषय पर बोल रहे थे तब दर्शक दीर्घा में बैठे देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ उन्हें गौर से सुन रहे थे। ऐसा इसलिए कि पीएम मोदी ने इस दौरान सुप्रीम कोर्ट का भी जिक्र किया।
पीएम ने कहा कि नागरिक संहिता भेदभावपूर्ण तथा सांप्रदायिक है और अब इसकी जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी इस बारे में बार-बार चर्चा की है और आदेश भी दिये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा , “सुप्रीम कोर्ट ने यूनीफोर्म सिविल कोड को लेकर बार-बार चर्चा की है और आदेश दिये हैं तथा देश का बड़ा वर्ग मानता है कि सिविल कोड एक तरह से सांप्रदायिक सिविल कोड है, भेदभाव करने वाला है और इसमें सच्चाई भी है।”
उन्होंने कहा कि अभी संविधान के 75 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं और उच्चतम न्यायालय तथा संविधान की भी यही भावना है तो संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करना हमारा दायित्व है। उन्होंने कहा , “हम जब संविधान के 75 वर्ष पूरे कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट भी कह रहा है और संविधान की भावना भी कह रही है और तब संविधान निर्माताओं का जो सपना था उसे पूरा करना हम सबका दायित्व है।”
प्रधानमंत्री ने कहा , “मैं मानता हूं कि इस गंभीर विषय पर देश में चर्चा हो। व्यापक चर्चा हो और सब अपने सुझाव लेकर आयें और उन कानूनों को जो धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं जो ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं, उन कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता है और इसीलिए मैं तो कहूंगा, अब समय की मांग है कि देश में एक सेक्युलर सिविल कोड हो। हमने सांप्रदायिक सिविल कोड में 75 साल बिताये हैं अब हमें सेक्युलर सिविल कोड की ओर जाना होगा और तब जाकर देश में धर्म के आधार पर जो भेदभाव हो रहे हैं सामान्य नागरिक को उससे मुक्ति मिलेगी।”