हिमालय में कैसे बीते नरेंद्र मोदी के 2 साल, पॉडकास्ट में सुनाया रोचक किस्सा
- हिमालय में घूमने को लेकर नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह एक नया अनुभव था। एक ऐसी दुनिया जो पहाड़ों और बर्फ से ढके विशाल शिखरों से बनी थी। इन सभी ने मुझे आकार देने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पॉडकास्टर और अमेरिकी वैज्ञानिक लेक्स फ्रीडमैन को लंबा इंटरव्यू दिया। इस दौरान उन्होंने 2 साल तक विशाल हिमालय में बिताए दिनों को याद किया और बताया कि इसका उनके जीवन पर क्या असर पड़ा। पीएम मोदी ने कहा कि इस यात्रा ने उन्हें मजबूत बनाने और अपनी आंतरिक शक्ति को खोजने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि इन दो सालों के दौरान उन्होंने पहाड़ों के एकांत को अपना लिया था। पीएम मोदी ने कहा, 'मैंने हिमालय में समय बिताया। पहाड़ों के एकांत को अपनाया। इस यात्रा में मैं कई लोगों से मिला। कुछ महान तपस्वी थे। ऐसे लोग जिन्होंने सब कुछ त्याग दिया था, लेकिन फिर भी मेरा मन बेचैन रहा। शायद यह मेरी जिज्ञासा की उम्र थी, सीखने और समझने की इच्छा थी।'
हिमालय में घूमने को लेकर नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह एक नया अनुभव था। एक ऐसी दुनिया जो पहाड़ों और बर्फ से ढके विशाल शिखरों से बनी थी। इन सभी ने मुझे आकार देने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। इसने मुझे अंदर से मजबूत कर दिया और मुझे अपनी आंतरिक शक्ति को खोजने में सक्षम बनाया।' उन्होंने आगे कहा कि हिमालय में बिताए गए वर्षों के दौरान ध्यान का अभ्यास किया गया। भक्ति भाव से लोगों की सेवा की, जो उनके व्यक्तित्व का एक अभिन्न हिस्सा बन गया। पीएम मोदी ने कहा, 'ध्यान का अभ्यास करना, सुबह के समय उठना, ठंडे पानी से स्नान करना, भक्ति भाव से लोगों की सेवा करना और बुजुर्ग संतों की देखभाल करना मेरे व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा बन गया।'
पीएम मोदी बोले- मैं लगातार चलता रहा
पीएम मोदी ने कहा कि एक बार इस क्षेत्र में प्राकृतिक आपदा आई। मैंने तुरंत ग्रामीणों की मदद करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा, 'ये वे संत और आध्यात्मिक गुरु थे, जिनके साथ मैं समय-समय पर रहा। मैं कभी भी एक जगह पर लंबे समय तक नहीं रहा। मैं चलता रहा और लगातार भ्रमण करता रहा। यही वह जीवन था जो मैंने जिया।' लेक्स फ्रीडमैन के साथ पॉडकास्ट में उन्होंने कहा, 'आप देखिए कि मेरी सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं से 10 करोड़ फर्जी लाभार्थियों की पहचान की। उन्हें हटाया, यह सुनिश्चित किया कि लाभ, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से सही लोगों तक पहुंचे। इससे 3 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है।'