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बार-बार रूस गए PM मोदी, शी जिनपिंग से मुलाकात; LAC पर कैसे बदल गए हालात

  • विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों नेताओं (पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग) ने रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने, रणनीतिक संवाद बढ़ाने और विकासात्मक चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग की संभावना तलाशने की आवश्यकता पर जोर दिया।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तानFri, 25 Oct 2024 06:34 AM
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भारत और चीन के बीच जारी तनाव अब खत्म होने के आसार हैं। दोनों ही देश LAC यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों को पीछे हटाने का ऐलान कर चुके हैं। वहीं, 16वें ब्रिक्स सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात कामयाब मानी जा रही है। खास बात है कि 5 साल में दोनों नेताओं के बीच यह पहली मुलाकात थी। साल 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्ते तल्ख हो गए थे।

कैसे सुलझा विवाद

न्यूज18 की रिपोर्ट में शीर्ष सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि चीन भी LAC मुद्दा जल्द सुलझाना चाहता था। सूत्रों ने आगे बताया कि अमेरिका की तरफ से दबाव होने के बाद भी बीते 3 महीनों में दो पीएम मोदी की दो बार रूस यात्रा के चलते चीन समझौते के लिए तैयार हुआ। इसके बाद बीते 6 महीनों में बातचीत ने रफ्तार पकड़ी और बात सैनिकों को पूरी तरह पीछे हटाने पर पहुंच गई है।

जल्द शुरू होगी गश्त

रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों का कहना है कि LAC पर डिसइंगेजमेंट और डीएस्केलेशन तेज रफ्तार में होगा, क्योंकि दोनों ही पक्ष इस मुद्दे को जल्द सुलझाना चाहते हैं। LAC में भारत और चीन की पेट्रोलिंग भी शुरू हो जाएगी।

बैठक में क्या हुआ

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर यहां आयोजित करीब 50 मिनट की बैठक में, मोदी ने मतभेदों और विवादों को उचित तरीके से निपटाने तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति व स्थिरता को भंग करने की अनुमति नहीं देने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि परस्पर विश्वास, एक-दूसरे का सम्मान और परस्पर संवेदनशीलता संबंधों का आधार बने रहना चाहिए।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों नेताओं ने रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने, रणनीतिक संवाद बढ़ाने और विकासात्मक चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग की संभावना तलाशने की आवश्यकता पर जोर दिया।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस वार्ता में कहा कि दोनों नेताओं ने उल्लेख किया कि भारत-चीन सीमा विवाद मुद्दे का हल करने और सीमावर्ती इलाकों में शांति व स्थिरता बरकरार रखने के लिए विशेष प्रतिनिधियों को एक अहम भूमिका निभानी होगी। मोदी और शी ने विशेष प्रतिनिधियों को शीघ्र बैठक करने और अपने प्रयास जारी रखने के निर्देश दिए। मिस्री ने कहा, ‘हम विशेष प्रतिनिधियों की अगली बैठक एक उपयुक्त समय पर होने की उम्मीद कर रहे हैं।’

पूर्वी लद्दाख विवाद पर नई दिल्ली के रुख का जिक्र करते हुए मिस्री ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बहाल होने से दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की राह पर लौटने के लिए गुंजाइश बनेगी। उन्होंने कहा, ‘जैसा कि आप सभी जानते हैं, यह बैठक सैनिकों को पीछे हटाने और गश्त पर सहमति तथा 2020 में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में उत्पन्न मुद्दों के समाधान के प्रयास के तुरंत बाद हुई है।’

सोमवार को, भारत और चीन ने गश्त और पूर्वी लद्दाख में LAC पर सैनिकों को पीछे हटाने के लिए एक समझौता किया, जो चार साल से अधिक समय से जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है।

4 साल की लंबी प्रक्रिया

खास बात कि इन 4 सालों में 31 दौर की कूटनीतिक बैठकें और 21 बार सैन्य स्तर की बैठकें हो चुकी हैं। साथ ही 2 बार विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने चीनी समकक्ष वांग यी से जुलाई में मुलाकात कर चुके हैं। LAC पर दोनों देशों के बीच 7 बिंदुओं पर संघर्ष था। हालांकि, इनमें से 5 से सेना पीछे हट गई थी, लेकिन देपसांग और डेमचोक पर गतिरोध बना हुआ था। अब दोनों बिंदुओं से भी सैनिकों के पीछे हटने पर सहमति बन गई है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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