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स्कूल की चॉक से अपने सफेद जूतों को चमकाया, पीएम मोदी ने शेयर किया बचपन का किस्सा

  • पीएम मोदी ने पॉडकास्ट में कहा कि मेरा बचपन बेहद गरीबी में बीता, मैंने स्कूल में इस्तेमाल किया हुआ चॉक इकट्ठा किया और अपने सफेद जूते चमकाने के लिए इसका उपयोग किया।

Madan Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 16 March 2025 10:11 PM
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स्कूल की चॉक से अपने सफेद जूतों को चमकाया, पीएम मोदी ने शेयर किया बचपन का किस्सा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में अपने बचपन के किस्से साझा करते हुए बताया कि गरीबी में पले-बढ़े होने के बावजूद उन्होंने कभी इसका बोझ महसूस नहीं किया। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने बचपन में अपनी जिंदगी में कभी जूते नहीं पहने थे, फिर उनके मामा ने उन्हें सफेद कैनवास के जूते उपहार में दिए। पीएम मोदी ने कहा, ''मेरा बचपन बेहद गरीबी में बीता, मैंने स्कूल में इस्तेमाल किया हुआ चॉक इकट्ठा किया और अपने सफेद जूते चमकाने के लिए इसका उपयोग किया।''

पीएम ने याद किया कि कैसे कठिनाइयों के बावजूद भी उन्होंने कभी भी अभाव का अनुभव नहीं किया। पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने जीवन के हर दौर को कृतज्ञता के साथ अपनाया और गरीबी को कभी भी संघर्ष के रूप में नहीं देखा। पॉडाकस्ट में उन्होंने कहा, ''गरीबी का बोझ फील नहीं किया, क्योंकि जो व्यक्ति बढ़िया जूते पहनता है और उसके जूते नहीं है, तो लगता है कि ये है। हमने तो कभी जिंदगी में जूते पहने ही नहीं थे, तो हमें क्या मालूम था कि जूते पहनना भी बहुत बड़ी चीज होती है। हम तुलना करने की अवस्था में भी नहीं थे और जिंदगी ऐसे ही जी।''

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पॉडकास्ट से पहले इंटरव्यू करने वाले लेक्स फ्रिडमैन ने 45 घंटों से उपवास भी रखा था। लेक्स ने कहा, "मैं पिछले 45 घंटों से उपवास कर रहा हूं, जो लगभग दो दिन हो गए हैं। मैं सिर्फ पानी पी रहा हूं। मैंने यह आपके और हमारी बातचीत के सम्मान में किया ताकि हम आध्यात्मिक रूप से बात कर सकें।" इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया, "यह मेरे लिए आश्चर्यजनक और सम्मान की बात है। मैं आपके इस विचारशील भाव के लिए आभार व्यक्त करता हूं। भारत की धार्मिक मान्यताएं जीवन जीने का एक तरीका हैं... यह आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है... उपवास आपके विचारों को तेज़ करता है और आपके विचारों में नयापन लाता है। मैंने अपना पहला उपवास तब किया था जब महात्मा गांधी की इच्छा के अनुसार पूरे देश ने 'गौरक्षा' के लिए एक दिन का उपवास किया था।"

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