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कमाने की काबिलियत है तो कमाओ, सिर्फ गुजारा भत्ते के लिए बेरोजगार नहीं रह सकती; HC का बड़ा फैसला

  • पति ने याचिका में पारिवारिक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे अपनी पत्नी को धारा 125 सीआरपीसी के तहत 8,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने को कहा गया था।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, भुवनेश्वरThu, 13 Feb 2025 02:57 PM
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कमाने की काबिलियत है तो कमाओ, सिर्फ गुजारा भत्ते के लिए बेरोजगार नहीं रह सकती; HC का बड़ा फैसला

ओडिशा हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि कानून किसी शिक्षित महिला को केवल गुजारा भत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से बेरोजगार बने रहने की अनुमति नहीं देता। न्यायमूर्ति जी सतपथी की सिंगल बेंच ने कहा, "कानून उन पत्नियों का समर्थन नहीं करता जो सिर्फ गुजारा भत्ता पाने के लिए काम करने या नौकरी ढूंढने से बचती हैं, जबकि उनके पास हायर एजुकेशन और उपयुक्त योग्यता हो।"

क्या है मामला?

यह टिप्पणी कोर्ट ने एक पति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दी। पति ने याचिका में पारिवारिक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे अपनी पत्नी को धारा 125 सीआरपीसी के तहत 8,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने को कहा गया था।

कोर्ट ने दोनों पक्षों की आर्थिक स्थिति की समीक्षा की। पति की मासिक शुद्ध आय 32,541 रुपये थी और उसके ऊपर अपनी वृद्ध मां की जिम्मेदारी भी थी। वहीं, पत्नी साइंस में ग्रेजुएट है और उसने पत्रकारिता एवं जनसंचार में पीजी डिप्लोमा किया था। वह एनडीटीवी सहित विभिन्न मीडिया संगठनों में काम कर चुकी थी, लेकिन वर्तमान में बेरोजगार होने का दावा कर रही थी।

कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गुजारा भत्ता उन व्यक्तियों को दिया जाता है जो वास्तव में अपने जीवन-यापन के लिए किसी और पर निर्भर हैं। हाईकोर्ट ने कहा, "गुजारा भत्ते का उद्देश्य केवल पति की आय और जिम्मेदारियों को देखना नहीं है, बल्कि यह भी आकलन करना जरूरी है कि पत्नी के पास शिक्षा और कमाने की संभावना है या नहीं।"

कोर्ट ने माना कि पत्नी के पास अच्छी शैक्षिक योग्यता और काम का अनुभव है, इसलिए उसे खुद के लिए आजीविका कमाने का प्रयास करना चाहिए। इस आधार पर, हाईकोर्ट ने पारिवारिक अदालत द्वारा तय किए गए गुजारा भत्ते की राशि को 8,000 रुपये से घटाकर 5,000 रुपये प्रति माह कर दिया।

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फैसले का प्रभाव

यह फैसला उन मामलों के लिए नजीर बन सकता है, जहां योग्य और शिक्षित महिलाएं बिना किसी वाजिब कारण के काम करने से बचती हैं और केवल गुजारा भत्ते पर निर्भर रहना चाहती हैं। हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि गुजारा भत्ता उन लोगों के लिए है जो वास्तव में असमर्थ हैं, न कि उन लोगों के लिए जो जानबूझकर बेरोजगार रहना चाहते हैं।

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