आपका लेक्चर सुनने नहीं आए हैं, CJI की कुर्सी पर पहले ही दिन किस पर और क्यों तमतमाए जस्टिस खन्ना
सुनवाई के दौरान वकील नेदुम्पारा ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट आम वकीलों के लिए भी होना चाहिए न कि यहां सिर्फ अंबानी और अडानी के मामलों का फैसला एक निश्चित और विशेष तरीके से किया जाना चाहिए।
New CJI Sanjiv Khanna: जस्टिस संजीव खन्ना ने देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में आज (सोमवार, 11 नवंबर को) पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। इसके बाद उन्होंने बतौर CJI अपने कार्यकाल के पहले दिन जस्टिस पीवी संजय कुमार के साथ न्यायिक कार्यवाही शुरू की। इस दौरान उनकी अगुवाई वाली पीठ ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) और ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT) से संबंधित एक मामले की सुनवाई की। मामले की पैरवी वरिष्ठ वकील मैथ्यूज नेदुम्पारा कर रहे थे।
सुनवाई के दौरान वकील नेदुम्पारा ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट आम वकीलों के लिए भी होना चाहिए न कि यहां सिर्फ अंबानी और अडानी के मामलों का फैसला एक निश्चित और विशेष तरीके से किया जाना चाहिए। इस पर नए नवेले चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, "लेकिन आपका मामला तो जस्टिस बेला त्रिवेदी के फैसले से संबंधित है..." इसी बीच नेदुम्पारा ने CJI को टोकते हुए कहा, लेकिन गरीब एमएसएमई को किस तरह से अलग किया जा सकता है.. देश में करोड़ों एमएसएमई हैं और यहां केवल अंबानी अडानी के मामलों की ही सुनवाई हो पा रही हैं।"
नेदुम्पारा की इस दलील पर सीजेआई खन्ना भड़क उठे। उन्होंने वरिष्ठ वकील नेदुम्पारा को फटकार लगाते हुए कहा, "हम यहां आपका लेक्चर सुनने के लिए नहीं आए हैं। दिक्कत है तो कृपया डीआरटी में जाएं।" बता दें कि मैथ्यूज नेदुम्पारा वही वकील हैं, जो NEET-UG मामले की सुनवाई के दौरान जुलाई में तत्कालीन CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ से भिड़ गए थे। तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने उन्हें अदालती कामकाज में बाधा डालने पर कोर्ट रूम से हटाने के लिए मार्शल को बुलाने का आदेश दिया था। तब नेदुम्पारा ने जस्टिस चंद्रचूड़ को चुनौती देते हुए कहा था कि वह इस अदालत में सबसे सीनियर हैं।
अगस्त में जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस आर हादेवन की पीठ ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के ऋण खातों को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के रूप में वर्गीकृत करने पर फैसला सुनाया था और बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया था। इस पर नेदुम्पारा का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट में बड़े औद्योगिक घरानों के मामलों की सुनवाई त्वरित और विशेष रूप से हो जाती है, जबकि उसी तरह के मामलों में फंसे छोटे MSME की सुनवाई लटकी रहती है।
बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक संक्षिप्त समारोह में आज जस्टिस खन्ना को 51वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। इसके बाद जस्टिस खन्ना दोपहर बाद जस्टिस संजय कुमार के साथ कोर्ट रूम नांबर एक में सुनवाई के लिए बैठे। इस दौरान उन्होंने वहां एकत्रित वकीलों को धन्यवाद दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दिन की कार्यवाही शुरू होने पर कहा, ‘‘मैं प्रधान न्यायाधीश के रूप में आपके सफल कार्यकाल की कामना करता हूं।’’
अदालत कक्ष में उपस्थित अन्य वकीलों ने भी प्रधान न्यायाधीश को शुभकामनाएं दीं। जब एक बार सदस्य ने सुनवाई के लिए एक दिन में सूचीबद्ध मामलों के अनुक्रम से संबंधित मुद्दा उठाया, तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह उनके ध्यान में है और वह इस पर विचार करेंगे। न्यायमूर्ति खन्ना ने राष्ट्रपति भवन में ‘‘ईश्वर के नाम पर’’, अंग्रेजी में शपथ ली। उन्होंने जस्चिस डीवाई चंद्रचूड़ का स्थान लिया जो रविवार को सेवानिवृत्त हो गए।