मनमोहन सिंह की हल्की नीली रंग की पगड़ी के पीछे क्या था राज; खुद बताई थी कहानी
- भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सभी तस्वीरों में एक बात समान दिखती है। चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट के साथ उनके सिर पर नीले रंग की पगड़ी दिखाई देती है। क्या था उनकी पगड़ी का राज और इस रंग से उनका कनेक्शन?
देश की राजनीति में सबसे सफल राजनेताओं में से एक पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। वह 92 साल के थे। उम्र से जुड़ी दिक्कतों की शिकायत के बाद मनमोहन सिंह को दिल्ली के AIIMS अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने गुरुवार को आखिरी सांस ली। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी समेत कई राजनीतिक हस्तियों ने शोक जताया है। आधुनिक भारत की अर्थव्यवस्था को ऊंचाइयों तक पहुंचाने में अहम योगदान देने वाले मनमोहन सिंह को अक्सर नीली पगड़ी पहने देखा जाता था। उनसे इस रंग के चुनाव के बारे में सवाल भी पूछे जाते थे। पूर्व प्रधानमंत्री ने खुद इस सवाल का जवाब दिया था। एक भाषण के दौरान उन्होंने अपनी पगड़ी और नीले रंग के रहस्य से पर्दा उठाया था।
मनमोहन सिंह ने खुलासा किया था कि नीली पगड़ी का संबंध उनके अल्मा मेटर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से था। 2006 में डॉक्टरेट ऑफ लॉ से सम्मानित होने के दौरान अपने वक्तव्य में मनमोहन सिंह ने बताया था कि हल्का नीला उनके पसंदीदा रंगों में से एक है और कैम्ब्रिज में उनके बेहतरीन दिनों की याद दिलाता है। इस कार्यक्रम में प्रिंस फिलिप ने मनमोहन सिंह की नीली पगड़ी पर टिप्पणी की। ड्यूक ने कहा था, "इनकी पगड़ी का रंग तो देखो।" वहां मौजूद भीड़ ने इस बात पर तालियां भी बजाई थीं।
साथी प्यार से कहा करते थे ‘ब्लू टर्बन’
इस पर मनमोहन सिंह ने बताया था कि इस रंग से उनका निजी जुड़ाव है। उन्होंने बताया कि हल्का नीला रंग उनके पसंदीदा रंगों में से एक है और कई सालों से वह इसी रंग की पगड़ी पहनते आए हैं। उन्होंने इस रंग के प्रति अपने लगाव का जिक्र किया जो उनका ट्रेडमार्क बन गया है। पूर्व प्रधानमंत्री ने तब यह भी बताया था कि जब वह कैम्ब्रिज में रहते थे तब उनके साथी उन्हें प्यार से ‘ब्लू टर्बन’ कहा करते थे। इस दौरान उन्होंने अपने खुले विचारों, निडरता और दूसरे मूल्यों को अपने अंदर लाने का श्रेय कैम्ब्रिज के अपने शिक्षकों और साथियों को दिया था।
भारत को आर्थिक विकास की ओर ले जाने का श्रेय
पूर्व प्रधानमंत्री के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) मुख्यालय में रखा गया है। डॉक्टर मनमोहन सिंह भारत के पहले पहले सिख प्रधानमंत्री थे। वह यूपीए की सरकार में 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे और दो कार्यकाल पूरे किए। उन्हें भारत को आर्थिक विकास की ओर ले जाने और करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का श्रेय दिया जाता है।